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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के बीच तेज हुईं सरकार गठन की कोशिशें, राज्यपाल को सौंपा गया समर्थन पत्र

राज्यपाल और एनडीए विधायकों की मुलाकात के बाद बीरेन सिंह के एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि, आधिकारिक रूप से इस संबंध में कोई पुष्टि नहीं की गई है।

by Reeta Rai Sagar
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इंफाल : बीते लगभग 3 माह से मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता के बीच राष्ट्रपति शासन हटाने और लोकप्रिय सरकार के गठन की संभावनाओं के बीच राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। एनडीए गठबंधन के 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात कर 44 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए सरकार गठन की पेशकश की। हालांकि, केंद्र सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि फिलहाल राष्ट्रपति शासन हटाए जाने की संभावना नहीं है।

राष्ट्रपति शासन हटाने को लेकर केंद्र की प्राथमिकता शांति बहाली
केंद्र और राज्य दोनों की मौजूदा प्राथमिकता सरकार गठन नहीं बल्कि राज्य में शांति बहाली है। सूत्रों के अनुसार, किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि मौजूदा शांति प्रक्रिया को पटरी से उतार सकती है, इसलिए केंद्र फिलहाल राष्ट्रपति शासन को समाप्त करने के पक्ष में नहीं है।

NDA विधायकों ने पेश किया 44 विधायकों का समर्थन
एनडीए गठबंधन के 10 विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल अजय भल्ला से मिला। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल निर्दलीय विधायक सपम निशिकांत सिंह ने कहा, “सभी एनडीए विधायक मणिपुर में एक लोकप्रिय सरकार चाहते हैं। जनता का दबाव और वर्तमान हालात देखते हुए हमने राज्यपाल को बताया कि यह सरकार गठन का उपयुक्त समय है।”

सरकार की विफलता पर फिर लगा सकते राष्ट्रपति शासन
भाजपा विधायक ठोकचोम राधेश्याम सिंह ने बातचीत में कहा, “हमने 44 विधायकों का समर्थन प्रस्तुत किया। राष्ट्रपति शासन एक आपातकालीन कदम है और इसे अंतिम विकल्प के रूप में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यदि नई सरकार असफल होती है तो फिर से राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।”

बीरेन सिंह की वापसी की अटकलें तेज
राज्यपाल और एनडीए विधायकों की मुलाकात के बाद बीरेन सिंह के एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि, आधिकारिक रूप से इस संबंध में कोई पुष्टि नहीं की गई है। बीरेन सिंह ने 13 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।

मणिपुर में जारी है जातीय हिंसा का संकट
मणिपुर में 3 मई 2023 को मेइती समुदाय और कुकी-जोमी जनजातियों के बीच भयंकर जातीय संघर्ष शुरू हुआ था। यह विवाद मुख्य रूप से आर्थिक लाभ, नौकरी कोटा और भूमि अधिकारों को लेकर था। इस हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान गई और करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए।

वर्तमान विधानसभा की स्थिति
मणिपुर विधानसभा की कुल 60 सीटों में से फिलहाल एक सीट रिक्त है, जिससे कुल सक्रिय विधायकों की संख्या 59 रह गई है। भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में 32 मेइती विधायक, 3 मणिपुरी मुस्लिम विधायक और 9 नागा विधायक शामिल हैं, जो कुल मिलाकर 44 का बहुमत बनाते हैं। हांलाकि नया सीएम कौन होगा, इस बात पर संशय है।

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