रांची: वक्फ संशोधन बिल को लेकर झारखंड में विरोध की आवाज तेज हो गई है। इसी कड़ी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता सीपीआई के राज्य सचिव महेंद्र पाठक ने की। जिसमें कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
बैठक में वक्ताओं ने वक्फ संशोधन बिल को अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों पर सीधा हमला बताया। राज्य सचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने देश की जनता को जो अधिकार दिए थे, उन्हें वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा लगातार कुचला जा रहा है। जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है, अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सिस्टेमेटिकली कमजोर किया जा रहा है।
महेंद्र पाठक ने आरोप लगाया कि सरकार कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए वक्फ की जमीनें अदानी और अंबानी जैसे पूंजीपतियों को सौंपने की तैयारी में है। उन्होंने आशंका जताई कि भविष्य में बौद्ध और हिंदू धर्मस्थलों की जमीनें भी इसी तरह कॉरपोरेट हाथों में सौंपने की कोशिश की जा सकती है।
उन्होंने झारखंड सरकार से मांग की कि विशेष विधानसभा सत्र बुलाकर वक्फ संशोधन बिल पर विस्तृत चर्चा की जाए और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर राज्य में लागू होने से रोका जाए। इस मौके पर मजलिस-ए-उलेमा-हिंद के मौलाना मुफ्ती अजहर कासमी और झारखंड हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एके रशीदी ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों से जोड़ा और कहा कि यह सिर्फ एक कानूनी मुद्दा नहीं बल्कि सामाजिक न्याय का सवाल है। बैठक में तय किया गया कि इस मुद्दे को लेकर आने वाले दिनों में व्यापक जनआंदोलन चलाया जाएगा।