नई दिल्ली : मेटा (Meta) ने आखिरकार भारत को लेकर कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग द्वारा की गई टिप्पणी के लिए माफी मांग ली है। यह माफी उस वक्त आई जब भारतीय संसद और सरकार के कई नेताओं ने इस बयान पर विरोध जताया था। मेटा की माफी की जानकारी IT और कम्युनिकेशन मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी।
माफी पर की गई टिप्पणी
निशिकांत दुबे ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “भारतीय संसद और सरकार को 140 करोड़ लोगों का आशीर्वाद और विश्वास प्राप्त है। Meta के अधिकारी ने आखिरकार अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी है।” उन्होंने यह भी लिखा, “यह जीत भारत के आम नागरिकों की है। प्रधानमंत्री मोदी को जनता ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाकर दुनिया को हमारे देश के सबसे मजबूत नेतृत्व से परिचित कराया है। अब इस मुद्दे पर हमारी समिति का दायित्व खत्म होता है, लेकिन भविष्य में हम इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अन्य विषयों पर बुलाएंगे।”
क्या था पूरा मामला?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब फेसबुक के संस्थापक और मेटा के CEO, मार्क जुकरबर्ग ने अमेरिकी पॉडकास्टर जो रोगन के पॉडकास्ट में भारत को लेकर एक गलत बयान दिया। उन्होंने कहा था कि COVID-19 के बाद हुए चुनावों में दुनिया भर की कई सरकारों को हार का सामना करना पड़ा था, और इसमें भारत भी शामिल था। उनका यह बयान गलत था, क्योंकि भारत में 2024 में हुए आम चुनाव में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए (NDA) को बड़ी जीत मिली थी।
मार्क जुकरबर्ग का यह दावा भारतीय लोकतंत्र के बारे में पूरी तरह गलत था, क्योंकि भारत में कोविड के बाद हुए चुनाव में 64 करोड़ से अधिक लोगों ने वोट दिया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार को भारी बहुमत मिला था।
भारत सरकार और मंत्रियों का विरोध
मार्क जुकरबर्ग के इस बयान के बाद भारतीय सरकार और कई मंत्रियों ने उनकी आलोचना की। IT और कम्युनिकेशन मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर जुकरबर्ग के बयान को गलत बताया और उसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में, 2024 में हुए चुनाव में 64 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया। भारत के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में काम कर रही एनडीए सरकार पर अपना विश्वास दिखाया।”
अश्विनी वैष्णव ने अपने पोस्ट में X पर Meta को टैग करते हुए यह भी लिखा कि जकरबर्ग का यह बयान गलत है और उन्होंने भारत के चुनावी परिणाम को समझने में ग़लती की।
समन भेजने की तैयारी में थी संसदीय समिति
इस विवाद के बाद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता में संसदीय समिति ने मेटा को समन भेजने की बात की थी। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर मेटा से स्पष्टीकरण लिया जाएगा। उनके अनुसार, यह भारतीय लोकतंत्र और देश की प्रतिष्ठा का सवाल था, और मेटा को अपनी गलती माननी ही थी।
मेटा की माफी में क्या काहा
मेटा ने अपनी माफी में कहा कि उन्हें अपनी टिप्पणी का पूरा ध्यान रखना चाहिए था, और भारत के प्रति उनके बयान ने लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी। मेटा ने यह भी कहा कि वे इस मामले में अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं को मजबूत करेंगे ताकि भविष्य में इस प्रकार की गलतियां न हों।
अखिरकार मेटा द्वारा माफी मांगने के बाद यह विवाद शांत हुआ, लेकिन इससे यह भी साबित हुआ कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और उनके शीर्ष अधिकारी भी सार्वजनिक बयान देने से पहले सतर्क रहना चाहिए।