पटना: बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राज्य की सियासी फिजा में हलचल तेज होती जा रही है। राजनीतिक दल जातीय समीकरणों को साधने की पूरी कोशिश में लगे हैं। इसी कड़ी में अब निषाद समाज को साधने की कोशिश करते हुए बिहार सरकार ने नाविकों के लिए एक खास योजना की घोषणा की है। राज्य के मत्स्य एवं पशु संसाधन मंत्री हरि साहनी ने पटना के दीघा गंगा घाट पर आयोजित एक भव्य नाव रैली के दौरान ऐलान किया कि अब नाव और नाविक दोनों का बीमा कराया जाएगा।
हरि साहनी ने कहा कि सरकार नाविकों की सुरक्षा और उनके रोजगार को स्थिरता देने के उद्देश्य से इस योजना को लागू कर रही है। इस बीमा योजना के तहत अगर किसी नाविक की दुर्घटना में मृत्यु होती है या वह घायल होता है, तो उसे या उसके परिजनों को पांच लाख रुपये तक की बीमा राशि मिलेगी। इसके अलावा, अगर नाव क्षतिग्रस्त होती है, तो उसके लिए 50 हजार रुपये तक का मुआवजा भी मिलेगा।
निषाद राज गुहा की जयंती पर हुआ आयोजन
इस कार्यक्रम का आयोजन निषाद राज गुहा की जयंती के अवसर पर किया गया, जिन्हें भगवान श्रीराम के घनिष्ठ मित्र के रूप में जाना जाता है। आयोजन स्थल पर बड़ी संख्या में नाविक समुदाय के लोग मौजूद रहे। मंत्री हरि साहनी के साथ इस मौके पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और राजभूषण निषाद भी विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में नाविकों को सम्मानित भी किया गया और उन्हें सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूक किया गया।
नाविकों ने कहा, “अब हमें भी मिला है सम्मान”
इस योजना को लेकर नाविक समुदाय में खासा उत्साह देखने को मिला। नाविक महेश कुमार ने कहा, “सरकार की यह पहल हमारे लिए बड़ी राहत है। पहले कभी किसी सरकार ने हमारे बारे में नहीं सोचा था, लेकिन अब हमें और हमारी नावों को भी सुरक्षा मिलेगी।”
वहीं, नाविक राजकुमार साहनी ने कहा, “हम गंगा नदी में दिन-रात मेहनत करते हैं। लोगों और सामान को पार कराते हैं, लेकिन दुर्घटना का डर हमेशा बना रहता है। अब बीमा से आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।”
निषाद वोट बैंक की अहमियत बढ़ी
बिहार की राजनीति में निषाद समुदाय का बड़ा महत्व है। राज्य की आबादी में इस समुदाय की हिस्सेदारी करीब 5-4 फीसदी मानी जाती है। इस समाज में कुल 21 जातियां शामिल हैं, जिनमें साहनी, केवट, मल्लाह, निषाद, बिंद, धीवर जैसी जातियां प्रमुख हैं। पिछले कुछ वर्षों में यह वोट बैंक निर्णायक साबित हुआ है, खासकर अति पिछड़े वर्गों की राजनीति में।
पिछले विधानसभा चुनावों में निषाद समाज के मसीहा माने जाने वाले मुकेश साहनी ने महागठबंधन के साथ खड़े होकर एनडीए को बड़ा झटका दिया था। ऐसे में अब बीजेपी और एनडीए फिर से इस वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटे हैं।
राजनीतिक संदेश साफ है
इस पूरे कार्यक्रम और योजना का संदेश स्पष्ट है- बीजेपी निषाद समाज को अपने पाले में लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। बीमा और रजिस्ट्रेशन जैसी योजनाएं न केवल नाविकों को राहत देंगी, बल्कि उन्हें यह एहसास भी कराएंगी कि सरकार उनकी चिंता कर रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में यह रणनीति कितनी असरदार साबित होती है। नाव रैली और निषाद समुदाय के प्रति यह खास ध्यान बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण पैदा कर सकता है, खासकर तब जब महागठबंधन और एनडीए, दोनों ही अति पिछड़े वर्गों के वोटों के लिए अपनी-अपनी चालें चल रहे हैं।

