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Global Hindu Rashtra Mahotsav: 24 से 30 जून तक गोवा में होने जा रहा ‘वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव’

by Rakesh Pandey
Global Hindu Rashtra Mahotsav
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Global Hindu Rashtra Mahotsav: इस वर्ष ‘अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ का अर्थात ‘वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव’ का यह 12वां वर्ष है। यह अधिवेशन 24 से 30 जून 2024 तक फोंडा, गोवा के श्रीरामनाथ देवस्थान के श्री विद्याधिराज सभागार में होने वाला है। इस अधिवेशन में देश-विदेश के 1000 हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के दो हजार से भी अधिक प्रतिनिधि, संत, धर्माचार्य, हिंदुत्वनिष्ठ नेता, विचारक, लेखक, पूर्व न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व सरकारी अधिकारी एवं पत्रकार उपस्थित रहनेवाले हैं।

इस अधिवेशन में हिंदुओं की रक्षा के उपाय, हिंदू राष्ट्र हेतु संवैधानिक प्रयास, मंदिर संस्कृति की रक्षा के उपाय, विश्व के स्तर पर हिंदुत्व की रक्षा, देश की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बनी हलाल अर्थव्यवस्था पर उपाय आदि विषयों पर विचारमंथन कर सर्वसम्मति से कार्यान्वयन की दिशा सुनिश्चित की जाएगी। उसके अनुरूप वर्षभर हिंदुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता उस दिशा में प्रयास करेंगे।

इस अधिवेशन का सीधा प्रसारण हिंदू जनजागृति समिति के यू-ट्युब, फेसबुक तथा एक्स एकाउंट से, साथ ही समिति के जालस्थल www.hindujagruti.org से किया जाने वाला है।

Global Hindu Rashtra Mahotsav: अबकी बार, हिंदू राष्ट्र की पुकार !

प्रस्तावना : ‘हिंदू राष्ट्र’ यह शब्द भारत में ही नहीं; अपितु अब विदेशों में भी किसी के लिए नया नहीं रह गया है। लगभग 15 वर्ष पूर्व इस शब्द का उच्चारण करना भी मानो अपराध था; ऐसे में वर्ष 2002 में हिंदू जनजागृति समिति की स्थापना हुई, वही मूलतः हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए ! इस प्रकार एक समय के ‘वर्जित’ शब्द का आज ‘सर्वमान्य’ होना, हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों की बडी सफलता है।

Global Hindu Rashtra Mahotsav: हिंदू राष्ट्र : सनातन वैदिक धर्म के नियमों पर आधारित उदात्त व्यवस्था!

स्वामी विवेकानंद ने कहा है, ‘यह राष्ट्र जीवित रहे’, यदि हमारे ऐसे प्रयास हैं, तो इस राष्ट्र को संपूर्णतः हिंदू धर्माधिष्ठित जीवनप्रणाली स्वीकार होनी चाहिए। हिंदू राष्ट्र का अर्थ ‘हिंदुओं का देश’, केवल इतना ही संकीर्ण विचार नहीं है। ‘राष्ट्र’की संकल्पना में भूमि एवं जनसमूह के साथ वहां की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, धर्म, साहित्य, कला एवं राजनीति के सूत्र भी अंतर्भूत होते हैं। हिंदू राष्ट्र किसी भी प्रकार की राजनीतिक संकल्पना नहीं है, अपितु सनातन वैदिक धर्म के नियमों के अनुरूप एक उदात्त व्यवस्था है। इसलिए वास्तव में हिंदू राष्ट्र के विरोध का कोई कारण ही नहीं है।

Global Hindu Rashtra Mahotsav: हिंदू राष्ट्रविरोधी ‘नैरेटिव’!

आज विरोधियों द्वारा ‘हिंदू राष्ट्र’का बडे स्तर पर दुष्प्रचार किया जा रहा है। उसके लिए वे विभिन्न ‘नैरेटिव’ रच रहे हैं। उसमें ‘धर्म पर आधारित पाकिस्तान आज भीख मांग रहा है, तो आपको हिंदू राष्ट्र की क्या आवश्यकता है?’ अथवा ‘आज देश बेरोजगारी, गरीबी जैसी समस्याओं से ग्रस्त है, तो आप उन पर उपाय ढूंढने के स्थान पर ‘हिंदू राष्ट्र की स्थापना’ हेतु क्यों प्रयास कर रहे हैं?’ जैसे प्रश्नों का समावेश है।

ऐसे लोगों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि आज स्वतंत्रता प्राप्ति हुए 75 वर्ष से अधिक समय बीत गया है; परंतु तब भी देश में गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, हिंसाचार आदि समस्याओं की ठोस उपाय-योजना नहीं हो पाई, तो क्या यह विगत 75 वर्ष की शासन व्यवस्थाओं की असफलता नहीं? ‘आने वाले दिनों में ये समस्याएं सुलझ जाएंगी अथवा अल्प होंगी’, ऐसा भी कोई राजकर्ता आत्मविश्वास से नहीं कह सकता।

पाकिस्तान आज कंगाल है। भीख मांग रहा है; तो क्या कोई वहां इस्लामी राज्य नष्ट करने की मांग कर रहा है? आज यूरोप के अधिकतर धनवान देश स्वयं को ‘ईसाई देश’ कहलाते हैं, तो क्या वे उनके देश के गरीबों की चिंता नहीं करते? क्या ऐसा कहा जा सकता है? तो फिर इस देश को सभी समस्याओं से मुक्त कर, एक आदर्श राष्ट्र बनाने हेतु कोई हिंदू राष्ट्र की स्थापना की मांग कर रहा हो, तो उसमें अनुचित क्या है?

Global Hindu Rashtra Mahotsav: गजवा-ए-हिंद’ का संकट गहराया !

भारत और भारत के हिंदुओं पर छाए संकटों की श्रृंखला से तो हम सभी परिचित हैं; परंतु इन सभी में सबसे गंभीर संकट है ‘गजवा-ए-हिंद’! यह शब्द संभवत: आप सभी के लिए नया हो; परंतु वर्तमान में भयंकर तूफान से पूर्व की शांति के रूप में यह संकट आपके-हमारे इर्द-गिर्द मंडरा रहा है। ‘गजवा-ए-हिंद’का अर्थ है ‘भारत का इस्लामीकरण करना!’ वर्तमान में बडे स्तर पर चलाए जा रहे लव जिहाद, लैंड जिहाद, हलाल जिहाद ये सभी इसी ‘गजवा-ए-हिंद’ के छोटे-छोटे रूप हैं।

इस संदर्भ में हिंदुओं का जागृत होना तो दूर की बात है; उन्हें तो अब भी इस संकट की लेशमात्र भी कल्पना नहीं है। इसलिए हिंदुओं में जागृति कर, उनमें सजगता लाना अनिवार्य है। उसके लिए ‘गजवा-ए-हिंद’ का ‘हिंदू राष्ट्र’ही एकमात्र उत्तर है, इस बात को हिंदुओं के मन पर अंकित करना होगा।

Global Hindu Rashtra Mahotsav: ‘सेक्यूलर’ लाड़-दुलार बंद करें!

वर्ष 1976 में देश में आपातकाल लागू था और संपूर्ण विपक्षी दल कारागृह में था, तब कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान में 42वें संशोधन के रूप में ‘सेक्यूलर एवं सोशलिस्ट’ शब्द घुसेड़ दिए, जो संविधान की मूल प्रस्तावना में थे ही नहीं। तब से हिंदुओं का दमन एवं अल्पसंख्यकों का विशेषरूप से मुसलमानों का तुष्टीकरण बडे़ स्तर पर आरंभ हो गया।

संविधान में इस प्रकार परिवर्तन लाना संविधानकर्ता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का अनादर था; परंतु आज तक किसी भी आधुनिकतावादी ने इस पर कुछ नहीं कहा।

इसी ‘सेक्युलरवाद’के नाम पर आधुनिकतावादियों द्वारा ‘हिंदू राष्ट्र’का विरोध किया जा रहा है। आश्चर्य की बात है कि यही आधुनिकतावादी ‘गजवा-ए-हिंद’ के विषय में एक शब्द नहीं बोलते! इसलिए संविधान में घुसेड़े गए इन शब्दों को हटाकर, उनके स्थान पर संविधान में संवैधानिक पद्धति से ‘हिन्दू राष्ट्र’ और ‘आध्यात्मिक’ इन शब्दों को अंतर्भूत किया जा सकता है। इसके लिए हिंदुत्वनिष्ठ न्यायालयीन संघर्ष कर रहे हैं।

Global Hindu Rashtra Mahotsav: हिंदू राष्ट्र स्थापना का मार्ग राजनीतिक नहीं है!

हमारी कभी भी ऐसी भूमिका नहीं थी कि ‘कोई विशिष्ट दल सत्ता में आने से हिंदू राष्ट्र आएगा’, अथवा ‘राजनीतिक मार्ग से सत्ता स्थापन कर हिंदू राष्ट्र आएगा’, ऐसा भी हमने कभी नहीं कहा था। तन, मन एवं धन अर्पण कर, निरपेक्षरूप से कार्य करने वालों कार्यकर्ताओं और संगठनों से ही हिंदू राष्ट्र साकार होने वाला है। आज भारत के 100 करोड़ हिंदू यदि हिंदू राष्ट्र की मांग करें, तो उसे रोकना असंभव है। हिंदुओं को उनके बहुसंख्यक होने का राजनीतिक भान हो जाए और राजनेताओं द्वारा जाति-जाति में उत्पन्न किए भेदभाव दूर हो गए, तो हिंदू राष्ट्र बहुत दूर नहीं!

Global Hindu Rashtra Mahotsav: हिंदू राष्ट्र स्थापना के विषय में जागृति एवं संगठन हेतु हिंदू राष्ट्र अधिवेशन!

राष्ट्रीय अन्वेषण विभाग ने ‘आई.एस्.आई.’ एवं ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ द्वारा वर्ष 2047 तक भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र रचे जाने की बात उजागर की है। ऐसी स्थिति में स्वयंभू हिंदू भूमि भारत को पुनः स्वयं से परिचित करवाना अर्थात हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना अनिवार्य है। इसके लिए हिंदू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ के माध्यम से संपूर्ण देश के हिंदुत्वनिष्ठ संगठन संगठित होकर हिंदुओं में बडे स्तर पर जागृति ला रहे हैं। हिंदू राष्ट्र धर्माधिष्ठित होगा अर्थात उसे धर्म का अधिष्ठान प्राप्त होगा।

अभी तक संपन्न हिंदू अधिवेशनों की संक्षेप में फलोत्पत्ति !

अ. संपूर्ण देश के 1000 से अधिक संगठन संगठित होकर राष्ट्र-धर्म हेतु कार्य कर रहे हैं।

आ. अधिवेशन में स्थापित ‘राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन’ द्वारा संपूर्ण देश के विभिन्न संगठनों को साथ लेकर राष्ट्र-धर्म पर हुए आघातों के विरोध में 1800 से अधिक सफल आंदोलन किए जा चुके हैं।

इ. श्री तुळजापुर मंदिर संस्थान, कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी मंदिर, पंढरपुर के श्री विठ्ठल मंदिर, शिरडी के श्री साईबाबा संस्थान आदि अनेक मंदिरों में हो रहा भ्रष्टाचार उजागर किया। इस अधिवेशन से मंदिरों के संगठन हेतु तथा मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करने हेतु महाराष्ट्र, गोवा एवं कर्नाटक राज्यों में मंदिर महासंघ का कार्य शुरू है। वर्तमान में लगभग 14 हजार मंदिर इस दृष्टि से संगठित होने हेतु संपर्क में हैं। यह बहुत बडा कार्य है। इसी माध्यम से महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के 650 मंदिरों में वस्त्रसंहिता (ड्रेस कोड) लागू की गई है।

ई. गढ़-किलों पर किए गए अतिक्रमणों के विरोध में महाराष्ट्र में राज्यव्यापी आंदोलन किया गया। वहां सरकार ने संज्ञान लेकर माहीम, लोहगढ आदि किलों पर किए गए अतिक्रमणों को हटाना आरंभ हुआ है। ऐसे अनेक उल्लेखनीय कार्य हैं।

Global Hindu Rashtra Mahotsav: हिंदू राष्ट्र में ही वास्तव में सुरक्षितता एवं समृद्धि की ‘गारंटी’!

इन सभी उक्त सूत्रों से ‘अबकी बार, हिंदू राष्ट्र की पुकार’ कितनी आवश्यक है, यह आपके ध्यान में अवश्य आया होगा। उसके लिए ‘मैं और मेरा’ जैसे संकीर्ण विचारों को त्यागकर, विश्वकल्याण का विचार करनेवाले हिंदू राष्ट्र के केवल साक्षी नहीं, अपितु भागीदार बनें! इसका कारण यह है कि हिंदू राष्ट्र में ही वास्तव में सुरक्षितता एवं समृद्धि की ‘गारंटी’ मिलेगी!

जयतु जयतु हिंदुराष्ट्रम्।

– रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिंदू जनजागृति समिति

 

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