लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को एक सामाजिक समरसता का महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य है पूरे समाज को एकजुट करना और किसी को भी पराया नहीं मानना। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ के लिए कोई अन्यथा विचारधारा के लोग नहीं हैं और वे हर विचारधारा से जुड़े लोगों को शामिल करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग संघ के खिलाफ हैं, वे भी हमारे ही हैं और उनके विरोध से संघ को कोई नुकसान नहीं होने चाहिए।
मोहन भागवत का दौरा
मोहन भागवत ने यह बयान चार दिन के दौरे के दौरान लखनऊ में दिया। इस बयान के बाद से विवाद बढ़ गया है और चर्चाएं बढ़ गई हैं।
समाज में समरसता का संदेश
मोहन भागवत ने संघ के आगे बढ़ने की अपील की और कहा कि संघ को समाज के सभी वर्गों को जोड़कर आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि संघ की विचारधारा के खिलाफ होने वाले लोगों की सूची तैयार करनी चाहिए और उनसे संपर्क करना चाहिए। संघ की विचारधारा के विरोधी लोगों को भी साथ जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। संघ सभी लोगों को जोड़कर आगे बढ़ेगा, चाहे वे चिकित्सक हों, शिक्षक हों, सेना के अधिकारी हों, वकील हों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों हों या किसी अन्य वर्ग से हों। उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों को सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र के लिए कार्य करने की इच्छा भी जाहिर की।