नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminathan) को भारत रत्न (Bharat Ratna Award) से सम्मानित करने का ऐलान किया है। इसकी जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दी। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का पल है कि देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में मशहूर स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च सम्मान के लिए चुना गया है।
MS Swaminathan के साथ ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव को भी देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया गया है। इन तीनों लोगों को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इससे पहले पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा केंद्र सरकार ने की थी।
इस प्रकार कुल पांच लोगों को इस बार भारत रत्न सम्मान से नवाजा जाएगा। ऐसे में हम बताएंगे कि कौन थे एमएस स्वामीनाथन, जिन्हें फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन (Father of Green Revolution) कहा जाता था और उन्हें क्यों इस सम्मान के लिए चुना गया है।
जानिए MS Swaminathan के बारे में
एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु में हुआ था। उनका पूरा नाम मनकोंबू सांबशिवन स्वामीनाथन था।1972 और 1979 के बीच, डॉ. स्वामीनाथन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और भारत सरकार में कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव के रूप में काम किया। वहीं, 98 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।
देश के सभी सर्वोच्च पुरस्कारों से नवाजे गए एमएस स्वामीनाथन इससे पहले भी कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। कृषि जगत में उनके अहम योगदान के चलते उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया है, जिनमें 1971 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1987 में विश्व खाद्य पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें 1967 में पद्म श्री, 1972 में पद्म भूषण और 1989 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है और अब वे भारत रत्न से नवाजे जाएंगे। यह पुरस्कार उन्हें मरणोपरांत मिलेगा।
जानिए किस वजह से मिली भारतीय हरित क्रांति के जनक की उपाधि
कृषि और गेहूं की खेती सहित अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में स्वामीनाथन के काम से गेहूं उत्पादन में बेतहाशा वृद्धि हुई और इसने भारत को भोजन की कमी वाले देश से आत्मनिर्भर राष्ट्र में तब्दील कर दिया, जिसके चलते उन्हें ‘भारतीय हरित क्रांति के जनक’ की उपाधि दी गई। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष के रूप में किसानों की परेशानियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने किसानों को फसल की औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित करने की सिफारिश की थी।
भारत को अकाल संकट से बचाने में निभाई मुख्य भूमिका
डॉ. MS Swaminathan ने भारतीय कृषि क्षेत्र में कई बड़ा योगदान दिया, यही वजह रही कि उन्हें “फादर ऑफ इकोलॉजी” की उपाधि दी गई। उन्होंने हरित क्रांति के माध्यम से ग्लोबल लीडर के रूप में 1960 के दशक में भारत को अकाल जैसी स्थितियों से बचाने के लिए गेहूं और चावल की उच्च उपज वाली किस्मों को पेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके अलावा डॉ स्वामीनाथन ने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन में ईकोटेक्नोलॉजी में यूनेस्को की कुर्सी संभाली, जहां उनका काम सस्टेनेबल एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज को जारी रखना था।
MS Swaminathan राज्यसभा सांसद भी रहे
MS Swaminathan एक कृषि वैज्ञानिक के साथ ही सफल राजनीतिज्ञ भी रहे हैं। यही वजह रही की उन्हें 2007 और 2013 के बीच सांसद के रूप में राज्यसभा के लिए नामित किया गया था। उन्होंने अपनी इस भूमिका का निर्वहन भी ईमानदारी से किया। वे संसद में किसानों के मुद्दे उठाते रहते थे।
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