नई दिल्ली : MUDA Scam : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर घाेटाले का अाराेप लगा है। इस मामले में राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने केस दर्ज करने की आधिकारिक अनुमति दे दी है। सिद्धारमैया पर मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) की जमीन के मुआवजे के लिए फर्जी दस्तावेज लगाने का आरोप है। विपक्षी पार्टी बीजेपी मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की मांग कर रही है।
इस बीच मुख्यमंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के बाद कांग्रेस ने घोषणा करते हुए कहा है कि वह मामले के खिलाफ 19 अगस्त को राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन करेगी। दरअसल, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने शनिवार को शिकायतों के आधार पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन घोटाले में सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी। इस मामले में टीजे अब्राहम, प्रदीप एसपी और स्नेहमयी कृष्णा शिकायतकर्ता हैं। वहीं कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से बड़ी संख्या में विरोध-प्रदर्शन में भाग लेने को कहा।
MUDA Scam : कांग्रेस व बीजेपी में मची सियासी घमासान
राज्यपाल के फैसले के बाद से ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच सियासी जंग छिड़ गई है। आरोप है कि सीएम सिद्धारमैया ने अपनी पत्नी पार्वती को मैसूर के पॉश इलाकों में फर्जी दस्तावेज बनाकर जमीन दिलाकर अपने पद का दुरुपयोग किया है। वहीं, मुख्यमंत्री ने लगे इन सभी आरोपों का खंडन किया है और कानूनी रूप से लड़ने की बात कही है।
MUDA Scam : एक किलोमीटर लंबा मार्च निकालेंगे कार्यकर्ता
सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार कहा कि हमारे पार्टी के नेता और कार्यकर्ता तालुक और जिला स्तर तक एक किलोमीटर लंबा मार्च निकालेंगे। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से राज्यपाल के कदम के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपने का आह्वान किया।
MUDA Scam : कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी और जेडीएस रच रहे साजिश: शिवकुमार
कर्नाटका के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि भाजपा और जद(एस) मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ बड़ी साजिश रच रहे हैं। इसके खिलाफ लड़ना हमारा कर्तव्य है। शिवकुमार ने कहा कि यह एक साजिश है और कांग्रेस इसके खिलाफ लड़ेगी। इस साजिश का उद्देश्य सिद्धारमैया को खत्म करना है।
MUDA केस क्या है
साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी। इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत अधिग्रहित भूमि मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई।
1992 में MUDA ने इस जमीन को डीनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया था। 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डेनोटिफाई कर वापस कर दिया। यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई।

														
