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लखनऊ में काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ने पर धर्मगुरुओं के बीच विवाद, मौलाना फिरंगी महली ने किया ईद पर विरोध से परहेज

by Rakesh Pandey
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लखनऊ: वक्फ बिल संशोधन अधिनियम 2024 के खिलाफ शुक्रवार को अलविदा की नमाज के दौरान काली पट्टी बांधकर विरोध जताने को लेकर लखनऊ में मुस्लिम धर्मगुरु आमने-सामने आ गए हैं। इस विरोध प्रदर्शन के बाद अब, ऐशबाग ईदगाह के शाही इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि ईद के दिन किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन या काली पट्टी बांधने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उनका कहना है कि ईद एक खुशी का अवसर है, और इस दिन को शांति और सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाया जाना चाहिए।

ईद पर विरोध से परहेज की अपील

मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने यह भी कहा कि अलविदा की नमाज के दौरान वक्फ बिल संशोधन अधिनियम के खिलाफ काली पट्टी बांधकर विरोध जताना उचित था, क्योंकि यह एक गंभीर मुद्दा था। हालांकि, ईद के दिन उन्हें उम्मीद है कि लोग इस दिन का जश्न खुशी के साथ मनाएंगे और कोई भी विरोध प्रदर्शन नहीं होगा। मौलाना फिरंगी महली ने कहा कि ईद के दिन काली पट्टी बांधने से समाज में गलत संदेश जा सकता है और यह खुशी के मौके पर विरोध की भावना को बढ़ावा दे सकता है, जो कि एक गलत कदम होगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे ईद की नमाज को शांतिपूर्ण और उल्लासपूर्ण माहौल में अदा करें।

टीले वाली मस्जिद के शाही इमाम का विरोध जारी रखने का समर्थन

वहीं, टीले वाली मस्जिद के शाही इमाम मौलाना फजलुल मन्नान रहमानी ने मौलाना फिरंगी महली के बयान के विपरीत अपना बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि वक्फ बिल संशोधन अधिनियम 2024 मुस्लिम समुदाय की मस्जिदों, दरगाहों और वक्फ संपत्तियों के खिलाफ है। इसलिए इस कानून का विरोध जारी रहना चाहिए और ईद के दिन भी काली पट्टी बांधकर इसका विरोध किया जाए।

मौलाना रहमानी ने कहा, “हमारा विरोध शांतिपूर्वक और सभ्य तरीके से होना चाहिए, लेकिन विरोध जरूरी है। इस बिल के खिलाफ हमारी आवाज बुलंद होनी चाहिए।” उन्होंने लखनऊ के मुसलमानों से अपील की कि वे ईद की नमाज में बड़ी संख्या में काली पट्टी बांधकर शामिल हों और सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग करें। उनका कहना था कि नमाज के दौरान न तो कोई नारेबाजी की जाए और न ही कोई हिंसा हो, बल्कि विरोध शांतिपूर्वक किया जाए।

विरोध के कारण और इसके असर

वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 ने मुस्लिम समुदाय में खासी चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि इसके तहत मस्जिदों और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए सरकार को अधिक अधिकार दिए गए हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य संगठनों ने इस कानून को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के खिलाफ बताया है। इसी कारण, काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया गया था, और यह विरोध अब भी जारी रखने की बात की जा रही है।

नमाज के बाद शांति बनाए रखने की अपील

मौलाना फजलुल मन्नान रहमानी ने यह भी कहा कि ईद की नमाज के बाद लोगों से अपील की गई है कि वे शांति बनाए रखें। किसी भी प्रकार की अफरा-तफरी या अराजकता से बचें और अपने घरों की ओर लौटें। उन्होंने कहा कि नमाज के बाद कोई भी व्यक्ति शांति और व्यवस्था बनाए रखते हुए घर लौटे, और यह सुनिश्चित करें कि उनका विरोध शांतिपूर्वक हो।

सामाजिक ताने-बाने पर असर

यह विवाद लखनऊ सहित पूरे देश में चर्चाओं का विषय बन गया है। एक ओर जहां मौलाना फिरंगी महली ईद के दिन शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं, वहीं मौलाना रहमानी का मानना है कि इस कानून के खिलाफ अपनी आवाज उठाना जरूरी है। यह स्थिति धार्मिक और सामाजिक ताने-बाने पर असर डाल सकती है, क्योंकि ऐसे मामलों में मतभेद अक्सर समुदायों के बीच तनाव पैदा कर सकते हैं।

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