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Jamshedpur News : जमशेदपुर के नागाडीह माबलिंचिंग केस में आठ साल बाद आया फैसला, पांच दोषियों को अदालत ने सुनाई उम्रकैद

Nagadhih Mob Lynching : फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश विमलेश कुमार सहाय ने कहा कि “भीड़ के हाथों न्याय की कोशिश लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

by Mujtaba Haider Rizvi
Court verdict in Jamshedpur Nagadhih mob lynching case after eight years; five accused sentenced to life imprisonment.
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Jamshedpur : आठ साल पहले झारखंड के नागाडीह गांव में हुई दिल दहला देने वाली बच्चा चोरी की अफवाह से जुड़े माबलिंचिंग मामले में आखिरकार बुधवार को कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। मिल गया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विमलेश कुमार सहाय की कोर्ट ने बुधवार को इस कांड में पांच दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने फैसले में कहा कि “कानून अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति समाज के लिए जहर है, और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”

जब अफवाह बनी मौत का कारण

18 मई 2017 को नागाडीह गांव में “बच्चा चोर” की अफवाह ने पूरे इलाके में खौफ फैला दिया था। ग्रामीणों ने चार लोगों जो सिलाई का नया बाजार निवासी गौतम वर्मा, उनके भाई विकास वर्मा, दादी राम सखी देवी, दोस्त गाढाबासा निवासी गंगेश को बाहरी समझकर पकड़ लिया और बच्चा चोरी का आरोप लगाते हुए बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।

कुछ ही मिनटों में सैकड़ों लोग जमा हो गए। लाठी, डंडे और पत्थरों से हमले शुरू हुए और देखते ही देखते चार निर्दोष लोगों की जान चली गई। झारखंड उस दिन दहशत, शर्म और गुस्से से कांप उठा था।

ग्राम प्रधान ने भड़काई थी भीड़

पुलिस जांच में सामने आया कि गांव के प्रधान राजा राम हांसदा ने भीड़ को भड़काने में अहम भूमिका निभाई थी।
पुलिस ने इस मामले में 28 लोगों को आरोपी बनाया था। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने राजा राम हांसदा, रेंगो पूर्ति, गोपाल हांसदा, सुनील सरदार और तारा मंडल को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
बाकी 23 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

अदालत का सख्त रुख

फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश विमलेश कुमार सहाय ने कहा कि “भीड़ के हाथों न्याय की कोशिश लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ऐसी घटनाओं से न सिर्फ निर्दोषों की जान जाती है, बल्कि समाज की आत्मा भी घायल होती है।”
उन्होंने आगे कहा कि कानून सबके लिए समान है और इसका पालन ही समाज में शांति की गारंटी है।

न्याय की जीत, समाज के लिए सबक

आठ साल बाद आया यह फैसला न सिर्फ चार निर्दोषों के परिवारों के लिएन्याय की जीत है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी भी — कि अफवाहों और उन्माद के दौर में विवेक बनाए रखना ही सबसे बड़ा साहस है।

नागाडीह कांड आज भी इस बात की याद दिलाता है किभीड़ का न्याय, असल में समाज का अन्याय होता है।

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