गुवाहाटी : Assam Muslim Marriage and Divorce Act 1935: समान नागरिक संहिता की दिशा में असम सरकार ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है। असम की सरकार ने इस दिशा में असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त कर दिया है। यह निर्णय शुक्रवार की रात मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। मालूम हो कि उत्तराखंड में इसी महीने समान नागरिक संहिता बिल पारित किया गया है।
Assam Muslim Marriage and Divorce Act 1935 – मुख्यमंत्री ने एक्स पर क्या लिखा?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर लिखा है कि इस अधिनियम में एेसी स्थिति में भी विवाह पंजीकरण की अनुमति दिए जाने के प्रविधान शामिल हैं, जब वर की आयु 21 वर्ष और वधु की आयु 18 वर्ष न हो, जो विवाह के लिए वैध आयु होती है। यह कदम (कानून को निरस्त किया जाना) राज्य में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
Assam Muslim Marriage and Divorce Act 1935 – कैबिनेट मंत्री ने क्या कहा
कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ल बरुआ ने इसे समान नागरिक संहिता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह और तलाक से संबंधित सभी मामले स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत आएंगे।
Assam Muslim Marriage and Divorce Act 1935 – इनकी होगी जिम्मेदारी
बरुआ ने कहा कि मुस्लिमों के विवाह और तलाक को पंजीकृत करने की जिम्मेदारी जिला आयुक्त और जिला रजिस्ट्रार की होगी। निरस्त हो चुके कानून के तहत कार्यरत 94 मुस्लिम रजिस्ट्रारों को भी उनके पदों से मुक्त कर दिया जाएगा। उन्हें एकमुश्त दो लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा।
Assam Muslim Marriage and Divorce Act 1935 – अंग्रेजों के समय बना था कानून
कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ल बरुआ ने कहा कि यह कानून अंग्रेजों के समय बनाया गया था। बाल विवाह को रोकने के मकसद से सरकार ने इस कानून को निरस्त करने का फैसला लिया है। असम सरकार ने बहुविवाह रोकने के लिए कानून बनाने की तैयारी काफी पहले से कर ली थी।
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