स्पेशल डेस्क : शाहपुर कंडी बांध परियोजना का काम आखिरकार 29 साल बाद पूरा हो गया। (Ravi River) बुधवार रात से झील में जल भंडारण का काम शुरू कर दिया गया है। अब पाकिस्तान को जाने वाली रावी नदी का 12 हजार क्यूसेक (प्रति वर्ष) पानी बंद हो जाएगा। इस पानी से अब जम्मू-कश्मीर और पंजाब की 37 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी। इसमें से 32 हजार हेक्टेयर जम्मू-कश्मीर में ही है। इससे कठुआ-सांबा के कंडी क्षेत्र के किसानों को सबसे अधिक फायदा मिलेगा।
सिंचाई में उपयोग होगा पानी (Ravi River)
रिपोर्ट के मुताबिक, शाहपुर कंडी बैराज जम्मू-कश्मीर और पंजाब की सीमा पर स्थित है। इस बैराज के बनने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को 1150 क्यूसेक पानी का फायदा मिलेगा, जो पाकिस्तान जाता था। कठुआ और सांबा जिले की 32 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई में इस पानी का इस्तेमाल किया जाएगा।
भारत के पानी का एक बड़ा हिस्सा जाता था पाकिस्तान
अंतरराष्ट्रीय नियमों और संधि के मुताबिक ही भारत ने बांध बनाने का काम किया है। दरअसल, विश्व बैंक की देखरेख में 1960 में हुई सिंधु जल संधि के तहत रावी के पानी पर भारत का विशेष अधिकार है। पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित शाहपुर कंडी बैराज जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच घरेलू विवाद के कारण रुका हुआ था। लेकिन, इसके कारण इतने वर्षों में भारत के पानी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान चला जाता था।
कई चुनौतियों के बाद बनकर तैयार हुई परियोजना
सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण शाहपुर कंडी बैराज परियोजना को पिछले तीन दशकों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, 29 साल बाद अब इसका काम पूरा हो गया है। 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि समझौता हुआ था, जिसके तहत भारत के पास रावी, सतलुज और ब्यास नदियों के पानी का अधिकार है, जबकि सिंधु, झेलम और चेनाब नदी के पानी पर पाकिस्तान का। शाहपुर कंडी बैराज बनने के बाद भारत के पास रावी नदी का पानी अपने पास रखने का अधिकार हो गया है।
पहले ये पानी लखनपुर बांध से होते हुए पाकिस्तान की ओर बहता था। लेकिन, अब इस पानी का फायदा पंजाब और जम्मू-कश्मीर को मिलेगा। गौरतलब है कि साल 1979 में पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकारों ने पाकिस्तान को पानी रोकने के लिए रंजीत सागर बांध और डाउनस्ट्रीम शाहपुर कंडी बैराज बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते पर जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और उनके पंजाब समकक्ष प्रकाश सिंह बादल ने हस्ताक्षर किए थे।
2018 में केंद्र की मोदी सरकार ने मध्यस्थता की और दोनों राज्यों के बीच समझौता कराया, तब इसका काम फिर से हो पाया। यह काम कुछ ही समय पहले आखिरकार खत्म हो गया और बांध अब बनकर तैयार है। अब जो पानी पाकिस्तान जा रहा था, उसका उपयोग अब जम्मू-कश्मीर के दो प्रमुख जिलों-कठुआ और सांबा में सिंचाई करने के लिए किया जाएगा।
READ ALSO: रांची टेस्ट मैच जीतकर सीरीज भारत ने किया अपने नाम, इंग्लैंड को पांच विकेट से हराया