फीचर डेस्कः नवरात्र के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। लेकिन इस बार तिथियों को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि की नवमी तिथि के अनुसार कन्या पूजन कब करना शुभ रहेगा—11 या 12 अक्टूबर।
नवरात्र की तिथियां
महाअष्टमी पर कन्या पूजन
कन्या पूजन मुख्य रूप से नवमी तिथि को किया जाता है, लेकिन कुछ लोग महाअष्टमी के दिन भी इसे करना पसंद करते हैं। महाअष्टमी तिथि का आरंभ 10 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर होगा। यदि आप अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना चाहते हैं, तो 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट से पहले यह पूजन कर लेना शुभ रहेगा।
नवमी तिथि का कन्या पूजन
नवमी तिथि का आरंभ 11 अक्टूबर को 12 बजकर 7 मिनट पर होगा और यह 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। इसलिए, नवमी तिथि का कन्या पूजन 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 59 मिनट से पहले करना होगा। इसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी, और उस समय किया गया पूजन मान्य नहीं होगा।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
महाअष्टमी (11 अक्टूबर): कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 7:46 बजे से 10:40 बजे तक रहेगा।
नवमी (12 अक्टूबर): शुभ चौघड़िया में कन्या पूजन का समय सुबह 7:50 बजे से 9:14 बजे तक रहेगा।
कन्या पूजन की विधि
निमंत्रण: कन्या पूजन से एक दिन पहले कन्याओं को निमंत्रण दें।
स्वागत: कन्याओं का स्वागत करें और उनके पैर साफ जल से धोकर पोंछें।
आसन: उन्हें लाल रंग के आसन पर बिठाएं।
तिलक: कन्याओं को कुमकुम से तिलक करें और कलावा बांधें।
भोग: उन्हें हलवा, काले चने और पूरी का भोग लगाएं।
दक्षिणा: भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा दें।
अक्षत: जाते समय कन्याओं के हाथ में कुछ अक्षत दें और मां दुर्गा के जयकारे लगवाएं।
आशीर्वाद: अंत में कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और हंसते-खेलते विदा करें।
कन्या पूजन का महत्व
कन्या पूजन में 2 से 9 साल तक की कन्याओं का पूजन शुभ माना जाता है। प्रत्येक उम्र की कन्या का विशेष महत्व होता है
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