- शाहदरा में बड़ी कार्रवाई, 1.7 लाख जाली किताबें जब्त
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की शाहदरा जिला इकाई ने एनसीईआरटी की नकली किताबों की अवैध बिक्री के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस मामले में पुलिस ने पिता-पुत्र की एक जोड़ी को गिरफ्तार किया है और मंडोली रोड स्थित एक दुकान व गोदाम से करीब 1.7 लाख नकली एनसीईआरटी पुस्तकें जब्त की हैं। जब्त की गई पुस्तकों की अनुमानित बाजार कीमत लगभग 2.4 करोड़ रुपये आंकी गई है।
कैसे हुआ खुलासा?
शाहदरा के डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि 16 मई को मंडोली रोड, एम.एस. पार्क थाना क्षेत्र में नकली किताबों की बिक्री की गुप्त सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर विशेष स्टाफ के इंस्पेक्टर मुनिश कुमार के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई, जिसमें एनसीईआरटी के सहायक उत्पादन अधिकारी प्रकाशवीर सिंह भी शामिल थे।
इस टीम ने अनुपम सेल्स नामक दुकान (पता: 1/4649/22 बी, मंडोली रोड) पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान कक्षा 12 की सामाजिक विज्ञान की 27 नकली पुस्तकें बरामद हुईं। इन पुस्तकों पर एनसीईआरटी अधिकारी के जाली हस्ताक्षर पाए गए।
हुई पिता पुत्र की गिरफ्तारी
पुलिस ने मौके से दुकानदार प्रशांत गुप्ता (48) और उसके बेटे निशांत गुप्ता (26) को हिरासत में लिया। पूछताछ में प्रशांत ने बताया कि वह पिछले 25 वर्षों से दुकान चला रहे हैं, जबकि उनका बेटा निशांत पिछले 5 वर्षों से कारोबार में शामिल है।
उन्होंने कबूल किया कि अधिक मुनाफा कमाने के उद्देश्य से वे दिल्ली के हिरणकी इलाके से नकली किताबें खरीदते थे।
हिरणकी में छापा, बड़ा गोदाम बेनकाब
प्रशांत की निशानदेही पर पुलिस ने हिरणकी के शिव एनक्लेव में स्थित एक गोदाम पर छापा मारा। यह गोदाम अरविंद कुमार नामक व्यक्ति (निवासी: सोनीपत, हरियाणा) द्वारा किराए पर लिया गया था। यहां से पुलिस ने 1.6 लाख नकली एनसीईआरटी पुस्तकें जब्त कीं।
एनसीईआरटी की टीम ने इन पुस्तकों की जांच के बाद पुष्टि की कि ये कॉपीराइट कानून का उल्लंघन करती हैं।
मामला दर्ज, जांच जारी
पुलिस ने एम.एस. पार्क थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS 2023) की धारा 318 और कॉपीराइट अधिनियम (1957) की धारा 63 व 65 के तहत मामला दर्ज किया है।
शाहदरा पुलिस अब इस पूरे रैकेट की जड़ तक पहुंचने के लिए गहन जांच कर रही है। जांच के दायरे में प्रिंटिंग प्रेस, वितरक, बिचौलिये और थोक विक्रेता शामिल हैं। इसके साथ ही एनसीईआरटी की पुस्तकों की सीमित आपूर्ति और बाजार में देरी से उपलब्धता जैसे पहलुओं की भी जांच की जा रही है, जिससे नकली पुस्तकों की मांग को बढ़ावा मिल सकता है।
शिक्षा व्यवस्था पर संकट
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के अवैध कारोबार से शैक्षिक गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ता है। साथ ही, छात्र और अभिभावक नकली व त्रुटिपूर्ण सामग्री के कारण नुकसान उठाते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि प्रामाणिक शैक्षिक सामग्री की समय पर और व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
पुलिस ने आश्वासन दिया है कि इस रैकेट से जुड़े सभी तत्वों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा और शिक्षा क्षेत्र की साख को बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।