नई दिल्ली : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी ने एक पत्र में अपील की है कि उनके पिता की अस्थियां भारत वापस लायी जाएं और उन्हें सम्मान दिया जाए। उनका कहना था कि नेताजी ने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और उनका सपना भारत को स्वतंत्र देखने का था, जो कि उनके जीवनकाल में पूरा नहीं हो सका। अतः, अब कम से कम उनकी अस्थियों को भारत लाकर सम्मानित किया जाना चाहिए।
जापान के रेनकोजी मठ में संरक्षित हैं अस्थियां
1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद, नेताजी की मृत्यु एक विमान दुर्घटना में ताइपे में हुई थी। उनके शव को वहीं जलाया गया और फिर टोक्यो भेजा गया। वहां भारतीय प्रवासियों ने उनकी अस्थियों को एक मठ में छुपाकर रखा, और यह अस्थियां आज भी जापान के रेनकोजी मठ में संरक्षित हैं। लगभग 80 साल बाद, नेताजी की अस्थियां अब भी वहीं सम्मानित की जा रही हैं।
मृत्यु को लेकर चलता रहा है विवाद
नेताजी की मृत्यु को लेकर लंबे समय तक कई अफवाहें और अनुमान लगाए गए। कई लोगों ने यह सवाल उठाया कि क्या उन्होंने वास्तव में मृत्यु को प्राप्त किया या वे फिर से किसी साहसिक अभियान के तहत सफल हो गए थे। ऐसा उन्होंने पहले दो बार किया था। हालांकि, भारतीय सरकार ने इस मामले में तीन आयोगों का गठन किया और अंततः यह निष्कर्ष निकाला कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी।
1990 के दशक में अस्थियों को लाने की हुई थी कोशिश
1990 के दशक में भारत सरकार ने नेताजी की अस्थियों को भारत लाने की कोशिश की थी, लेकिन राजनीतिक कारणों और विवादों के चलते यह संभव नहीं हो सका। अब, जब सभी दस्तावेज़ सार्वजनिक हो चुके हैं, और नेताजी की मृत्यु का तथ्य स्पष्ट हो चुका है, नेताजी की अस्थियों को भारत वापस लाने की अपील और भी महत्वपूर्ण हो गई है।
योगदान को सम्मान देने का समय
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का देश के प्रति प्रेम और बलिदान अविस्मरणीय है। उन्होंने अपने जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित किया था, और अब उनके योगदान को सम्मान देने का समय आ गया है। उनका भारत में सम्मानित किया जाना उनके प्रति देशवासियों का कृतज्ञता भाव प्रकट करेगा।