RANCHI (JHARKHAND): राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी अपने तीन दिवसीय झारखंड दौरे पर रांची पहुंची। इस दौरान उन्होंने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा, अधिकार और स्वास्थ्य से जुड़ी व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने राज्य सरकार की लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि झारखंड में महिलाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने बताया कि दौरे की विस्तृत रिपोर्ट राष्ट्रपति, भारत सरकार और राज्यपाल को सौंपी जाएगी। इतना ही नहीं लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।
थानों से गायब महिला पुलिस
झारखंड में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। पिछले 15 दिनों में 10 से अधिक गंभीर मामले सामने आए हैं। उन्होंने गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी की एक दुष्कर्म पीड़िता से मुलाकात कर उसकी आपबीती सुनी और थानों में महिला पुलिस की गैरमौजूदगी पर नाराजगी जताई। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि झारखंड में अब तक राज्य महिला आयोग का गठन क्यों नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कई बार राज्य सरकार को पत्र भेजा गया, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। उन्होंने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में फूड प्वाइजनिंग की घटनाओं पर भी चिंता जताई और पोषण व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता पर बल दिया।
महिलाओं को बताए उनके अधिकार
अपने दौरे की शुरुआत में ममता कुमारी वनवासी सेवा केंद्र पहुंची, जहां उन्होंने ग्रामीण व आदिवासी महिलाओं से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने महिलाओं को उनके कानूनी अधिकार, घरेलू हिंसा से बचाव और सरकारी सहायता विकल्पों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए जागरूकता पहली जरूरत है और आयोग इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है।
इसके बाद ममता कुमारी ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार का निरीक्षण किया। उन्होंने महिला कैदियों की दयनीय स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि जेल में रहने, भोजन, स्वास्थ्य और मानसिक परामर्श जैसी मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। कैदियों ने उनसे कई समस्याएं साझा की। उन्होंने कहा कि इस पर तत्काल रिपोर्ट तैयार कर आयोग को सौंपी जाएगी।
रिम्स डायरेक्टर को नहीं थी जानकारी
रिम्स के दौरे के दौरान भी ममता कुमारी प्रशासनिक तैयारियों से असंतुष्ट दिखीं। रिम्स निदेशक ने कहा कि उन्हें दौरे की जानकारी ही नहीं दी गई थी। इस पर ममता कुमारी ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह सरकारी समन्वय की विफलता है और संवेदनशील मामलों की उपेक्षा को दर्शाता है।
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