नई दिल्ली : बाघों के लिए भारत सबसे सुरक्षित जगह बन गया है। यही वजह है कि पूरे विश्व में सबसे अधिक बाघ यहां रहते हैं। इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अगर पिछले चार वर्षों (2018 से 2022 ) की बात करें तो इस दौरान देश में बाघों की संख्या 2967 से बढ़कर 3682 तक पहुंच गयी है। इस प्रकार इन अवधि के दौरान कुल 715 बाघों की वृद्धि हुई है। अगर प्रतिशत में इस ग्रोथरेट की बात करें तो यह 23.5 प्रतिशत है। इसके साथ ही भारत विश्व के 75 प्रतिशत बाघों का घर बन गया है।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताएं आंकड़े
यह जानकारी विश्व बाघ दिवस पर उत्तराखंड के रामनगर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दी। उन्होंने इस दौरान देश के सभी 53 टाइगर रिजर्व में मौजूद व राज्यवार बाघों के आंकड़े जारी किए। इसके अनुसार, बाघों की संख्या में सालाना करीब छह प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के कार्बेट रिजर्व में सबसे ज्यादा 260 बाघ हैं।
कुछ जगह खतरे में हैं बाघ
हालांकि बाघों की संख्या में हुई बढ़ोतरी के आंकड़े के बीच कुछ जगहों से नकारात्मक आंकड़े भी सामने आए हैं। इसके तहत नागालैंड, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में चिंताजनक स्थिति देखी गई है। यहां बाघों की आबादी कम होने की सूचना मिली है। कुछ बाघ अभयारण्यों सहित कई क्षेत्रों में स्थानीय बाघों की आबादी विलुप्त हो गई है। अवैध शिकार अभी भी बाघ संरक्षण के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है। रिपोर्ट की मानें तो बाघ राज्यों में 4,00,000 वर्ग किमी से अधिक जंगलों में से केवल एक तिहाई ही अपेक्षाकृत स्वस्थ स्थिति में हैं।
पांच टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं, सात में सिर्फ एक
मिजोरम का डंपा टाइगर रिजर्व, अरुणाचल प्रदेश का कमलेंग, तेलंगाना का कवल टाइगर रिजर्व, उड़ीसा के सटकोसिया व सहायद्री टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं मिला है। इसके अलावा बंगाल के बक्सा, अरुणाचल के नामदफा, राजस्थान के रामगढ़ विषधारी और मुंकदरा, झारखंड के पलामू, छत्तीसगढ़ के सीतानदी व इंद्रावती टाइगर रिजर्व में सिर्फ एक-एक बाघ की ही मौजूदगी मिली है। इसके अलावा कई ऐसे टाइगर रिजर्व भी हैं, जहां संख्या पांच से भी कम है।
जानिए देश के टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या :
कार्बेट टाइगर रिजर्व (उत्तराखंड) -260, बांदीपुर टाइगर रिजर्व (कर्नाटक)-150, नागरहोल टाइगर रिजर्व (कर्नाटक)-141, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (मध्यप्रदेश)-135 ,दुधवा टाइगर रिजर्व (उप्र) – 135 ,मदुमलाई टाइगर रिजर्व (तमिलनाडु) -114 ,कान्हा टाइगर रिजर्व (मध्य प्रदेश) -105, काजीरंगा टाइगर रिजर्व (असम) -104 ,सुंदरवन टाइगर रिजर्व (बंगाल) -100, ताडोबा अंधेरी टाइगर रिजर्व (महाराष्ट्र) -97, सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व (तमिलनाडु) -85 हैं।
सबसे अधिक एमपी में हैं बाघ, दूसरा नंबर कर्नाटक का :
अगर हम राज्य की बात करें तो देश में सबसे अधिक 785 बाघों के साथ मध्य प्रदेश अव्वल है और उसका टाइगर स्टेट का दर्जा कायम है। इसके बाद कर्नाटक- 563, उत्तराखंड- 560, महाराष्ट्र- 444, तमिलनाडु- 306,असम- 227,केरल- 213, उत्तर प्रदेश- 205, बंगाल- 101 और राजस्थान- 88 टाइगर हैं।
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देश में बाघ परियोजना के 50 साल पूरे
भारत में बाघ परियोजना के 50 साल पूरे हो गए। विदित हो कि भारत सरकार ने वर्ष 1973 में बाघ परियोजना शुरू की थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य देश में बाघों की सुरक्षा और जैव विविधता को संरक्षित करना था। इस दिशा में अलग-अलग सरकारों को भी जिम्मेदारी दी गई थी।