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30 अक्टूबर : होमी जहांगीर भाभा, भारत के न्यूक्लियर साइंटिस्ट, जिनकी मौत आज भी रहस्य है

1966 में भाभा की दुखद मृत्यु के बाद, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके सम्मान में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान, ट्रॉम्बे का नाम बदलकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) कर दिया था।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्कः भारत के पहले व्यक्ति, जिन्होंने देश में एटॉमिक पॉवर बनाने की सोची। जिस समय यह पॉवर दुनिया के कुछ चुनिंदा विकसित देशों में ही थी। वह थे होमी जहांगीर भाभा। आज यानी कि 30 अक्टूबर 2024 को उनका जन्मदिवस मनाया जाता है। हालांकि उनकी मृत्यु आज भी सभी के लिए के बहुत बड़ा रहस्य ही है कि यह दुर्घटना थी या साजिश, इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है। आइए, इस खास दिन पर उनकी महान उपलब्धियों पर विचार करें।

बचपन से ही विज्ञान और कला प्रेमी थे

होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को एक धनी पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता जहांगीर होर्मुसजी भाभा एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी मां मेहरबाई फ्रामजी पांडे भी बड़े खानदान की बेटी थीं। भाभा ने मुंबई के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में पढ़ाई की।

भाभा बचपन से ही विज्ञान में बहुत प्रतिभाशाली थे। बचपन में उन्हें मेकानो सेट के साथ खेलना बहुत पसंद था और वे सिर्फ़ निर्देशों का पालन करने की बजाय अपने खुद के अनूठे मॉडल बनाने में घंटों बिताते थे। इसके अलावा उन्हें संगीत, पेंटिंग और बागवानी का शौक भी था। उन्हें वायलिन और पियानो बजाना भी आता था।

बड़े लोगों के साथ उठना-बैठना था

वे अक्सर अपने चाचा दोराबजी टाटा, जो टाटा ग्रुप के CEO थे, उनसे मिलने जाते थे, जहां वे महात्मा गांधी और मोतीलाल नेहरू जैसे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के साथ चर्चाएं सुनते थे। इन अनुभवों ने उनके व्यक्तित्व और कॅरियर को भी प्रभावित किया।

भारत में रिसर्च शुरू

अपनी ऑनर्स डिग्री प्राप्त करने के बाद, भाभा ने 1930 में कैम्ब्रिज में कैवेंडिश प्रयोगशालाओं में अपनी रिसर्च शुरू की और 1935 में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। 1939 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ, तो वे छुट्टियों में भारत आए थे। यूरोप में अराजकता के कारण, उन्होंने यहीं रहने का फैसला किया। बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक, प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी सर चंद्रशेखर वेंकट रमन से प्रोत्साहित होकर, वे 1940 में भौतिकी में रीडर के रूप में संस्थान में शामिल हो गए।

नोबल प्राइज के लिए भी हुए थे नामित

भाभा की डॉक्टरेट थीसिस ने उन्हें 1942 में एडम्स पुरस्कार दिलाया, जिसे पाने वाले वह पहले भारतीय थे। बाद में उन्होंने 1948 में हॉपकिंस पुरस्कार जीता। इसके अलावा उन्हें 1951 और 1956 के बीच कई बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया और 1954 में उन्हें भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

रहस्यमय मृत्यु
24 जनवरी 1966 को एयर इंडिया की फ्लाइट-101 के मोंटब्लांक में दुर्घटनाग्रस्त होने से होमी भाभा की मृत्यु हो गई थी। इससे ठीक 18 दिन पहले उन्होंने दावा किया था कि वे तीन महीने में परमाणु बम बना सकते हैं। इससे उनकी मृत्यु के बारे में कई अफ़वाहें और कंट्रोवर्सी सामने आए, जिनमें से कुछ ने ये दावा किया कि भारत में उनके परमाणु कार्य को रोकने के लिए CIA द्वारा यह किया गया था, हालांकि यह अभी तक भी रहस्य ही है।
1966 में भाभा की दुखद मृत्यु के बाद, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके सम्मान में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान, ट्रॉम्बे का नाम बदलकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) कर दिया था।

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