भुवनेश्वर : उत्कल दिवस, जिसे ओडिशा दिवस भी कहा जाता है, हर साल 1 अप्रैल को ओडिशा राज्य के गठन की याद में मनाया जाता है। 1936 में ओडिशा को बिहार और बंगाल प्रांत से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया गया था। इससे पहले, ओडिशा ब्रिटिश शासन के तहत बिहार और बंगाल प्रांत का हिस्सा था। यह दिन ओडिशा और इसके लोगों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास और योगदान को समर्पित है।
उत्कल दिवस का इतिहास
ओडिशा का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है और इस क्षेत्र में कई शक्तिशाली राजवंशों का उत्थान और पतन हुआ, जिनमें मौर्य, गुप्त और मुग़ल साम्राज्य शामिल हैं। हालांकि, 1 अप्रैल 1936 को ओडिशा को अंततः एक अलग राज्य के रूप में स्थापित किया गया था, जब इसे भाषाई आधार पर ब्रिटिश राज के तहत बंगाल प्रांत से अलग कर दिया गया था।
1936 से पहले : ओडिशा, बिहार और बंगाल के साथ बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा था।
अलग राज्य की मांग : ओड़िया भाषा और सांस्कृतिक पहचान के कारण ओडिशा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एक अलग राज्य की मांग की।
ओडिशा का गठन (1 अप्रैल 1936): ब्रिटिश सरकार ने आधिकारिक रूप से ओडिशा को बिहार और बंगाल से अलग कर इसे एक स्वतंत्र प्रांत बना दिया।
पहला गवर्नर : सर जॉन ऑस्टिन हब बैक ओडिशा के पहले गवर्नर बने।
उत्कल दिवस का महत्व
राजकीय उत्सव : यह ओडिशा के एक अलग राज्य के रूप में आधिकारिक पहचान प्राप्त करने की याद दिलाता है।
सांस्कृतिक गर्व : ओडिशा की कला, साहित्य, नृत्य और परंपराओं को उजागर करता है। आज का दिन ओडिशा की पहचान के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं को सम्मानित करता है।
एकता और प्रगति : लोगों को ओडिशा की समृद्धि और विकास के लिए काम करने की प्रेरणा देता है। ओडिशा दिवस (उत्कल दिवस) एक खास अवसर है, जो राज्य के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और परंपराओं का उत्सव है। यह ओडिशा के लोगों के लिए एकजुट होने और अपनी साझा पहचान और जड़ों पर गर्व करने का मौका है। चाहे आप एक स्थानीय हों या एक आगंतुक, यह दिन ओडिशा की सुंदरता और विविधता की यादें छोड़ जाएगा।
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा दिवस के अवसर पर राज्य के लोगों को बधाई प्रेषित की। पीएम ने कहा कि ओडिशा के इतिहास, संस्कृति, साहित्य से लेकर म्यूजिक सब गर्व करने लायक है। बीजेपी शासित ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने 1 अप्रैल से 14 अप्रैल तक ‘ओड़िया पख्या’ नामक 14 दिनों का उत्सव आयोजित करने की घोषणा की है। 14 अप्रैल, महा बिशुवा संक्रांति, ओडिया नववर्ष को चिह्नित करता है।
इन उत्सवों के दौरान, ओडिशा सरकार अपनी संस्कृति, धरोहर, साहित्य, भाषा और पारंपरिक व्यंजनों को सक्रिय रूप से बढ़ावा देगी। ओडिया कला और संस्कृति में योगदान देने वाले वरिष्ठ लोक कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा। एक विशेष युवा लेखकों का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य नवोदित साहित्यिक प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना है।
संस्कृति मंत्री सूर्यबंशी सूरज ने कहा
‘हम ओडिया पख्या (पखवाड़ा) का आयोजन लोगों में गर्व का अहसास जगाने के लिए करेंगे। यह सिर्फ एक उत्सव नहीं होगा, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने का प्रयास होगा। हम ओडिशा की कलात्मक प्रतिभा को एक भव्य स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए मंच तैयार करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। यह राज्य के सांस्कृतिक कैलेंडर में एक ऐतिहासिक घटना बनेगी’।