सेंट्रल डेस्क : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बीकानेर हाउस की कुर्की का आदेश दिया है, जो राजस्थान के नोखा नगरपालिका और एनवायरो इन्फ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच विवाद से जुड़ा हुआ है। यह आदेश उस समझौते का पालन नहीं करने के कारण आया है, जो दोनों पक्षों के बीच हुआ था। इस फैसले के बाद बीकानेर हाउस के भविष्य को लेकर नया मोड़ आ सकता है और 29 नवंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी, जिसमें बीकानेर हाउस की नीलामी और बिक्री के लिए शर्तों पर फैसला लिया जाएगा।
बीकानेर हाउस और विवाद का कारण
बीकानेर हाउस, जो दिल्ली में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण संपत्ति है, का मालिकाना हक राजस्थान राज्य की नोखा नगरपालिका के पास है। इस संपत्ति के बारे में विवाद 2020 में उस समय उभरा जब नगरपालिका और एनवायरो इन्फ्रा इंजीनियर्स के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें कंपनी को नगरपालिका से 50.31 लाख रुपये की भुगतान राशि मिलने का प्रावधान था। लेकिन नगरपालिका द्वारा यह भुगतान समय पर नहीं किया गया, जिसके बाद एनवायरो इन्फ्रा इंजीनियर्स ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट की कमर्शियल कोर्ट की जज, विद्या प्रकाश की बेंच ने आदेश दिया कि नोखा नगरपालिका को यह राशि जल्द से जल्द चुकानी होगी। इसके बावजूद, नगरपालिका ने अदालत के आदेश के बाद भी भुगतान नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप कोर्ट ने बीकानेर हाउस को कुर्क करने का आदेश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होने वाली है, जिसमें बीकानेर हाउस की नीलामी और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं पर विचार किया जाएगा।
हिमाचल भवन की कुर्की का मामला
बीकानेर हाउस के साथ ही दिल्ली में एक और महत्वपूर्ण संपत्ति, हिमाचल भवन की कुर्की का आदेश भी हाल ही में जारी हुआ था। हिमाचल प्रदेश सरकार पर सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी का लंबित बकाया न चुकाने के कारण दिल्ली हाई कोर्ट ने हिमाचल भवन की कुर्की का आदेश दिया। यह मामला भी एक समझौते से जुड़ा हुआ था, जिसमें सरकार ने कंपनी को 64 करोड़ रुपये का भुगतान करने का वादा किया था।
लेकिन जब सरकार ने इस भुगतान को पूरा नहीं किया, तो कंपनी ने आर्बिट्रेशन में मामला उठाया। आर्बिट्रेशन कोर्ट ने सरकार को बकाया राशि ब्याज सहित चुकाने का आदेश दिया था, मगर सरकार ने फिर भी भुगतान नहीं किया। इसके बाद, कोर्ट ने हिमाचल भवन की कुर्की का आदेश दिया और सरकार को बकाया राशि, जिसमें 7 प्रतिशत ब्याज भी शामिल था, चुकाने का निर्देश दिया। अब इस मामले में सरकार ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की है, और इस फैसले के खिलाफ कानूनी कदम उठाए हैं।
बीकानेर हाउस की नीलामी और भविष्य
पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश के बाद अब बीकानेर हाउस की नीलामी और उसे लेकर अन्य कानूनी प्रक्रियाओं पर अगले महीने विचार किया जाएगा। नगरपालिका को 50 लाख से ज्यादा की राशि का भुगतान करना है, और अगर यह राशि चुकता नहीं की जाती है तो बीकानेर हाउस की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इससे न केवल नोखा नगरपालिका बल्कि पूरे राजस्थान सरकार के प्रशासनिक और कानूनी तंत्र पर असर पड़ सकता है, क्योंकि बीकानेर हाउस जैसी महत्वपूर्ण संपत्तियों की कुर्की से राज्य के प्रशासनिक मामलों में और अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
कानूनी और प्रशासनिक प्रभाव
बीकानेर हाउस और हिमाचल भवन की कुर्की के आदेश से यह भी साफ हो जाता है कि कानूनी संस्थाएं बड़े संस्थानों और सरकारी निकायों के खिलाफ भी सख्त कदम उठा सकती हैं, जब वे अपने वचन और समझौतों का पालन नहीं करते। इन मामलों से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकारी निकायों को अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों का पालन करते हुए पारदर्शिता और ईमानदारी से काम करना चाहिए, ताकि ऐसे विवाद और कुर्की की स्थितियां उत्पन्न न हों।
इस पूरे मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी, जब बीकानेर हाउस के भविष्य और इस संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया के बारे में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। ऐसे मामलों से यह भी सीखने को मिलता है कि सरकारी और निजी संस्थाओं के बीच स्पष्ट समझौते और उनके पालन की अनिवार्यता कितनी महत्वपूर्ण है, खासकर जब बात सार्वजनिक संपत्तियों की आती है।