पटना: बिहार में राजनीति का तापमान इन दिनों काफी हाई है। एक ओर जहां पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव छात्रों के अधिकारों के लिए सक्रियता दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) पर तीखा हमला बोला है। पप्पू यादव ने बीपीएससी परीक्षा को रद्द कर फिर से आयोजित करने की मांग को लेकर पटना के सचिवालय हाल्ट पर रेल चक्का जाम किया। इससे कई ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ। इस दौरान पप्पू यादव ने प्रशांत किशोर के गांधी मैदान में किए जा रहे आमरण अनशन को पूरी तरह से खारिज करते हुए उन पर कई आरोप लगाए।
70वीं बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने की मांग
पप्पू यादव की अगुवाई में बीपीएससी परीक्षा में गड़बड़ी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। उन्होंने कहा कि इस परीक्षा को रद्द कर दोबारा से परीक्षा कराई जाए, ताकि छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ न हो। सुबह से ही पप्पू यादव के समर्थकों ने कई ट्रेनों का परिचालन रोक दिया। इस दौरान कुछ समय के लिए ट्रेनों को रोका भी गया, लेकिन बाद में उन्हें आगे बढ़ने दिया गया। पप्पू यादव खुद सचिवालय हाल्ट पर धरने पर बैठे थे और उन्होंने कहा कि छात्रों की यह जायज मांग है और इसको लेकर वे सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।
प्रशांत किशोर पर हमला
इस बीच पप्पू यादव ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के गांधी मैदान में किए जा रहे आमरण अनशन पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने प्रशांत किशोर को ‘नटवरलाल’ और ‘दलाल’ तक कह डाला। पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर रात के समय अनशन से गायब हो जाते हैं और फिर सुबह भरपेट खाना खाकर अनशन पर बैठ जाते हैं। पप्पू यादव ने कहा, “इस तरह का अनशन होता है क्या?” उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया ने उन्हें बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है, जबकि असलियत में वह केवल एक स्वार्थी व्यक्ति हैं।
छात्रों के संघर्ष में साथ खड़े हैं: पप्पू यादव
पप्पू यादव ने यह भी कहा कि छात्रों का संघर्ष गंभीर है और उनके भविष्य से जुड़ा हुआ है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह छात्रों के साथ इस संघर्ष में खड़े हैं और इसमें कोई औपचारिकता नहीं निभा सकते। पप्पू यादव ने उदाहरण देते हुए कहा कि चाहे वह मीणा आंदोलन हो, जाट आंदोलन हो या किसान आंदोलन, सभी में रेल चक्का जाम जैसे कड़े कदम उठाए गए हैं। यह लोकतंत्र का हिस्सा है और जब मामला गंभीर हो तो आंदोलन के इन तरीकों का इस्तेमाल करना जरूरी होता है।
यह बिहार की शिक्षा व्यवस्था और न्याय की लड़ाई
पप्पू यादव ने आगे कहा कि 4 जनवरी को सरकार पैसे के बल पर परीक्षा आयोजित करवा सकती है, लेकिन वह बीपीएससी अभ्यर्थियों के हक के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। उनका कहना था कि छात्रों की मांग पूरी होने तक वह कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
पप्पू यादव ने साफ तौर पर कहा कि इस समय छात्रों का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है और उनके संघर्ष के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस आंदोलन में सिर्फ छात्रों का भविष्य दांव पर नहीं है, बल्कि यह बिहार की शिक्षा व्यवस्था और न्याय की लड़ाई भी है।
पप्पू यादव का यह आंदोलन केवल एक राजनीतिक प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह छात्रों की आवाज को उठाने का एक तरीका है। जहां एक ओर प्रशांत किशोर पर उनके तीखे बयान आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पप्पू यादव खुद को छात्रों का सच्चा साथी साबित करने में लगे हैं। बिहार में इस मुद्दे पर राजनीति और प्रदर्शन का नया मोड़ देखने को मिल रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह संघर्ष किस दिशा में आगे बढ़ता है।