दिल्ली: भारत के लोक संगीत की मशहूर गायिका शारदा सिन्हा, जिनकी आवाज में हर किसी को छठ पूजा का आभास होता है, ने इस महापर्व पर कई अविस्मरणीय गाने गाए हैं। उनकी छठ पूजा से जुड़े गीतों ने न केवल बिहार, बल्कि देशभर में एक विशेष पहचान बनाई है। शारदा सिन्हा का नाम सुनते ही छठ पूजा के गीतों की धुन याद आ जाती है। उनका गायन भारतीय लोक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुका है और छठ पूजा के दौरान उनके गाए गए गीतों की धुनें हर घर में गूंजती हैं।
शारदा सिन्हा का योगदान
शारदा सिन्हा ने छठ पूजा के गीतों को जिस भावनात्मक गहराई और श्रद्धा के साथ गाया है, वह सुनने वालों के दिल को छू जाता है। उनकी आवाज में वह शक्ति और भक्ति है, जो शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ लोक संगीत के समृद्ध इतिहास को समेटे हुए है। खासतौर पर छठ पूजा के समय उनका संगीत बेहद लोकप्रिय होता है, क्योंकि उनका गाया हुआ हर एक गीत इस पर्व के महत्व को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ व्यक्त करता है।
प्रसिद्ध गाने और उनकी लोकप्रियता
“दुखवा मिटाई छठी मईया”
इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले शारदा जी का आखिरी गीत भी छठ मां को ही डेडिकेट रहा। जब शारदा जी आईसीयू में भर्ती थीं, तो वहीं से उनके बेटे ने यह गाना रिलीज किया। उनके आखिरी इस गीत को सुनकर आंखे नम हो जाती हैं।
“पहीले-पहीले हम कईनी”
शारदा सिन्हा द्वारा गाया हुआ यह गीत मेट्रो सिटीज में रहने वाले उन बिहारियों की कहानी है, जो आज भी अपनी छठ परंपरा को खत्म नहीं होने देना चाहते हैं। इस गीत में यूथ पूजा करते हुए छठी मां से अपनी भूल-चूक माफ करने की दरख्वास्त करता है।
“हे छठी मइया”
यह गीत शारदा सिन्हा का सबसे प्रसिद्ध छठ गीत है। इस गाने में छठी मैया की पूजा और उनकी महिमा का बखान किया गया है। शारदा सिन्हा ने इस गीत में अपनी भावनाओं का जो संगम प्रस्तुत किया है, वह श्रोताओं के मन को एक विशेष शांति का अहसास कराता है।
“कांच ही बांस के बहंगिया”
यह गीत छठ पर्व के दौरान खासतौर पर गाया जाता है और शारदा सिन्हा की आवाज में इसकी खासियत और भी बढ़ जाती है। इस गीत में एक व्रति के समर्पण और भक्ति का खूबसूरती से चित्रण किया गया है, जो छठ पूजा के आध्यात्मिक पहलू को पूरी तरह से उजागर करता है।
“उठऊ सूरूज भइले बिहान “
इस गाने में छठ पूजा के अवसर पर जो विशेष रिवाज और परंपराएं निभाई जाती हैं, उनका बहुत सुंदर तरीके से वर्णन किया गया है। यह गीत हर किसी के दिल में छठी मैया के प्रति श्रद्धा और प्रेम को और गहरा करता है।
“नदिया के तीरे-तीरे “
इस गीत में सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा को लेकर भावनाओं की अभिव्यक्ति की गई है। गीत के बोल में सूरज देव के उदय को लेकर उमंग और आस्था का गहरा संदेश दिया गया है। शारदा सिन्हा की आवाज ने इसे और भी प्रभावशाली बना दिया है, जिससे यह गीत छठ पूजा के दौरान हर घर में बजता है।
शारदा सिन्हा और उनका संगीत
शारदा सिन्हा का संगीत सिर्फ एक साधारण संगीत नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव है, जो लोक संस्कृति और पारंपरिक मान्यताओं को संजीवनी शक्ति प्रदान करता है। छठ पूजा के समय उनका गाया हुआ हर गीत एक आस्था का प्रतीक बन चुका है। शारदा सिन्हा ने इस पर्व के गीतों को अपने गायन से इतना जीवंत बना दिया है कि लोग अब छठ पूजा के बिना इन गीतों को नहीं सुन सकते।
लोकप्रियता और सम्मान
शारदा सिन्हा के छठ गीतों ने उन्हें न केवल बिहार, बल्कि पूरे देशभर में लोकप्रियता दिलाई है। उन्हें लोक संगीत की समृद्ध परंपरा में योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। शारदा सिन्हा का योगदान इस बात को प्रमाणित करता है कि भारतीय लोक संगीत केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है।