नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 हजार भारतीयों का जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा गुरुवार को देश को सौंपा। उन्होंने इसे जैव प्रौद्योगिकी क्रांति में मील का पत्थर बताया। जीनोम सीक्वेंसिंग पर अब रिसर्चर रिसर्च करके दवाएं बना पाएंगे। यह अनुवांशिक और संक्रामक बीमारियों के इलाज में बहुत लाभदायक सिद्ध होगा।
2020 में शुरू की गई थी परियोजना
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 हजार भारतीयों का जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा राष्ट्र को सौंपा। जिनोमिक्स डाटा कान्क्लेव, जिसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित किया गया था, इसमें पीएम मोदी ने वर्चुअल तरीके से भागीदारी कर जिनोम सीक्वेंसिंग डाटा को देश को सौंपा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से यह बताया कि मुझे विश्वास है कि यह जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। आईआईटी वैज्ञानिक एवं सीएसआइआर और बीआरआइसी जैसे संस्थानों ने इस अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह परियोजना 2020 में शुरू की गई थी। 20 अनुसंधान संस्थानों के विज्ञानियों ने कोविड महामारी के दौरान 10 हजार भारतीयों का जीनोम डाटा तैयार करने पर काम किया था।
क्या होता है जीनोम
मानव जीनोम डीएनए से निर्मित होते हैं। हमारी कोशिकाओं में जीनोम 23 जोड़े गुणसूत्रों अथवा क्रोमोजोम के रूप में होते हैं। हमें जीनोम अपने माता-पिता से प्राप्त होता है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बाद शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए आसानी से अलग-अलग दुर्लभ और आनुवंशिक बीमारियों की पहचान करना, भविष्यवाणी करना और उनके लिए दवाइयां निर्मित करने में सहायता मिलेगी।
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