सेंट्रल डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को पांच देशों के कूटनीतिक दौरे पर रवाना हो गए हैं। यह यात्रा 8 दिवसीय है और इसकी शुरुआत उन्होंने पश्चिम अफ्रीकी देश घाना से की है। इस दौरे के तहत प्रधानमंत्री मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया की भी यात्रा करेंगे। यह दौरा अफ्रीका, कैरिबियन और लैटिन अमेरिका में भारत की विदेश नीति को सुदृढ़ करने के लिहाज़ से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
PM Modi Foreign Visit : घाना की ऐतिहासिक यात्रा : 30 वर्षों में पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री पहुंचे
प्रधानमंत्री मोदी का घाना दौरा ऐतिहासिक है, क्योंकि पिछले तीन दशकों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने इस देश की यात्रा नहीं की थी। पीएम मोदी की यह यात्रा 2 से 3 जुलाई 2025 तक निर्धारित है। अकरा स्थित कोटोका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारतीय समयानुसार सुबह 8.00 बजे उनका औपचारिक स्वागत किया गया।
इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा से जुबिली हाउस में द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिनमें उच्चस्तरीय वार्ता और एक संयुक्त प्रेस वार्ता शामिल रही। शाम को राष्ट्रपति महामा द्वारा आयोजित राजकीय रात्रिभोज में पीएम मोदी ने शिरकत की।
PM Modi Foreign Visit : भारत-घाना संबंध : निवेश और क्षमता निर्माण पर रहेगा फोकस
विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस यात्रा के दौरान दोनों देश आर्थिक, ऊर्जा, रक्षा और विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। भारत और घाना के बीच दीर्घकालिक संबंध हैं और भारत घाना की विकास योजनाओं में क्षमता निर्माण और निवेश के माध्यम से सहयोग करता रहा है।
त्रिनिदाद, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का भी करेंगे दौरा
घाना की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी कैरिबियन क्षेत्र के प्रमुख देश त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा करेंगे। वहां से वे सीधे अर्जेंटीना और फिर ब्राजील पहुंचेंगे, जहां वे 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 में भाग लेंगे। यह सम्मेलन वैश्विक दक्षिण के संदर्भ में विशेष महत्व रखता है। अंत में पीएम मोदी अपनी यात्रा का समापन नामीबिया में करेंगे, जो भारत के साथ पर्यावरण और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग का इच्छुक देश माना जाता है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन : वैश्विक साझेदारी की दिशा में भारत का कदम
ब्राजील में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी बहुपक्षीय सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करेगी। सम्मेलन में आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक शासन में सुधार जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।