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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कुक की बेटी को अमेरिका में मिली स्कॉलरशिप

by Rakesh Pandey
Pragya success story
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स्पेशल डेस्क : भारत के सर्वोच्च न्यायालय में कार्यरत एक रसोइया की बेटी, प्रज्ञा को संयुक्त राज्य अमेरिका के दो विश्वविद्यालयों में कानून की पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्ति (Pragya success story) से सम्मानित किया गया है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि का जश्न एक समारोह में मनाया गया, जहां मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने व्यक्तिगत तौर पर उनका सम्मान किया।

प्रज्ञा के सामने कई चुनौतियां थीं, लेकिन इस मुश्किल डगर को पार कर उन्होंने अमेरिका में कानून की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति हासिल कर ली। प्रज्ञा के पिता अजय कुमार सामल का सिर आज गर्व से ऊंचा हो गया है। ये युवा वकील अब अमेरिका के कैलिफोर्निया या मिशिगन विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करेंगी।

सीजेआई बोले- प्रज्ञा 1.4 अरब लोगों का सपना करेंगी पूरा

जस्टिस चंद्रचूड़ ने प्रज्ञा को सम्मानित करने के बाद कहा, हम जानते हैं कि प्रज्ञा ने अपने दम पर सब कुछ हासिल किया है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें जो भी चाहिए उपलब्ध हो। हम उम्मीद करते हैं कि उन्हें देश की सेवा करने के लिए वापस आना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि वह जो भी करेगी, उसमें उत्कृष्टता हासिल करेंगी और वह 1.4 अरब लोगों के सपनों को अपने कंधों पर बहुत आसानी से ले जाएगी।

प्रज्ञा वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के सेंटर फॉर रिसर्च एंड प्लानिंग में बतौर लॉ रिसर्चर काम कर रही हैं। उन्हें अमेरिका के कोलंबिया लॉ स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसेल्वेनिया कैरी लॉ स्कूल ने LL.M. में दाखिले का ऑफर दिया है। प्रज्ञा को इसके अलावा शिकागो लॉ स्कूल, न्यूयार्क यूनिवर्सिटी, बर्कले लॉ और मिशिगन लॉ स्कूल से भी एडमिशन के ऑफर मिल चुके हैं। मिशिगन लॉ स्कूल ने तो उन्हें 50,000 डॉलर ( करीब 4139977 रुपए ) की स्कॉलरशिप भी ऑफर की है।

माता-पिता को शॉल भेंट की (Pragya success story)

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 25 वर्षीय प्रज्ञा को शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीशों द्वारा हस्ताक्षरित भारतीय संविधान पर तीन पुस्तकें उपहार में दीं। उनके संघर्ष को मान्यता देने के रूप में चीफ जस्टिस ने प्रज्ञा के माता-पिता को शॉल भेंट की। प्रज्ञा ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और अन्य लोगों को धन्यवाद करते हुए कहा कि यह मेरे पिता और मां की मदद से संभव हो सका कि वह अपने करियर की ऊंचाइयों को छू सकीं।

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