धनबाद: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक अगस्त को धनबाद स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-आईएसएम) के 45वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगी। इस अवसर पर वे कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में बी.टेक के टॉप रैंकिंग ग्रेजुएट प्रियांशु शर्मा को प्रेसिडेंट्स गोल्ड मेडल प्रदान करेंगी।
आईआईटी-आईएसएम के अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष 2024–25 बैच के कुल 1,880 छात्र-छात्राओं को विभिन्न विषयों में डिग्रियां दी जाएंगी। इसके साथ ही वे संस्थान के प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों की लीग में औपचारिक रूप से शामिल हो जाएंगे।
मेडल्स और अवार्ड्स के जरिए होगी उत्कृष्टता की पहचान
संस्थान की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इस दीक्षांत समारोह में शैक्षणिक उत्कृष्टता को मान्यता देते हुए कुल 93 छात्रों को विशेष सम्मान से नवाजा जाएगा। इनमें से 37 छात्रों को गोल्ड मेडल, 35 छात्रों को सिल्वर मेडल और 21 छात्रों को स्पॉन्सर्ड अवॉर्ड्स प्रदान किए जाएंगे।
एक अधिकारी ने बताया, “यह दीक्षांत समारोह विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह संस्थान की शताब्दी समारोह का केंद्रीय भाग है, जो विज्ञान, तकनीक और शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण के 100 वर्षों की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।”
100 वर्षों की उत्कृष्ट परंपरा का प्रतीक है आईआईटी-आईएसएम
आईआईटी (आईएसएम) की स्थापना 9 दिसंबर 1926 को “इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स एंड एप्लाइड जियोलॉजी” के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य भारत के तेजी से बढ़ते खनन उद्योग के लिए कुशल पेशेवर तैयार करना था। यह संस्थान लंदन के रॉयल स्कूल ऑफ माइन्स की तर्ज पर तैयार किया गया था।
संस्थान की नींव इसके पहले प्रिंसिपल डेविड पेनमैन के दूरदर्शी नेतृत्व में रखी गई थी और इसका उद्घाटन तत्कालीन भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था।
आईआईटी (आईएसएम) आज भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में से एक है, जिसने शताब्दी के सफर में न केवल खनन, बल्कि कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भी अपनी अलग पहचान बनाई है।