जम्मू : केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद नई सरकार का गठन होना है। गृह मंत्रालय ने बीती रात राष्ट्रपति शासन हटा दिया, जिसके बाद उमर अब्दुल्ला सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी किया है। इस अधिसूचना पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के हस्ताक्षर के बाद इसे लागू किया गया है। अधिसूचना में कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 व 239 (ए) के साथ जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा-73 की शक्तियों का इस्तेमाल करके जम्मू-कश्मीर में 31 अक्तूबर 2019 का आदेश, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 54 के तहत मुख्यमंत्री के कार्यभार संभालने से तुरंत पहले निरस्त किया जाता है।
राज्य में एनसी और कांग्रेस की सरकार
हाल ही में हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस औऱ कांग्रेस ने साझा जीत दर्ज की। इसके बाद नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को गठबंधन का नेता चुना गया औऱ अब वे राज्य के अगले सीएम बनेंगे। खबरों की मानें तो उमर अब्दुल्ला 16 अक्तूबर को शपथ लेंगे।
8 अक्तूबर को आए चुनावी परिणाम के बाद नेशनल कांफ्रेंस को कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद और पूर्व राज्य के दो केंद्रशासित प्रदेश में विभाजन के बाद से राज्य में यह पहली चुनी हुई सरकार है। 90 सीटों के लिए तीन चरणों में हुए चुनाव में एनसी-कांग्रेस गठबंधन ने 48 सीटें जीती, जिसमें कांग्रेस को केवल 6 सीटें मिलीं।
2019 से लागू था राष्ट्रपति शासन
संसद द्वारा 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को पारित किया गया था। इसी दिन राज्य से संविधान के अनुच्छेद-370 को भी निरस्त किया गया था। 31 अक्तूबर 2019 से पहले महबूबा मुफ्ती राज्य की मुख्यमंत्री थीं, उनके इस्तीफे के बाद यानी जून 2017 से राज्य में प्रेसीडेंट रूल लागू था। शुरूआत में इसे 6 माह के लिए लागू किया गया।
इसके बाद संसद की अनुमति से इसे कई बार बढ़ाया गया। इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा एक आदेश जारी कर संकेत दिए गए कि जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल के अधीन केंद्रीय शासन अनिश्चितकाल तक रहेगा। उस दौरान BJP सरकार ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
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