रांची: मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना (एमएमजेएवाई), जिसे आमतौर पर आयुष्मान भारत योजना के नाम से जाना जाता है, लंबे समय से गरीब मरीजों के लिए लाइफलाइन साबित हो रही है। लेकिन पिछले 10 महीनों से राज्य के प्राइवेट अस्पताल गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन का आरोप है कि फरवरी 2024 से अब तक उन्हें एक भी भुगतान नहीं मिला है। वहीं करीब 700 अस्पतालों को बीते तीन महीनों से सरकार की ओर से एक रुपया भी नहीं मिला। जबकि 212 अस्पताल ऐसे हैं जिन्हें पिछले 10 महीनों से एक रुपया भी नहीं दिया गया। ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों ने अब आयुष्मान योजना के तहत इलाज करने में असमर्थता जताई है। साथ ही सरकार से मांग की है कि अगर उन्हें आयुष्मान का बकाया नहीं मिलता है तो एक हफ्ते में अस्पताल में ताला लगाने की नौबत आ जाएगी।
क्लियरेंस के बावजूद पेमेंट नहीं
प्राइवेट अस्पतालों के प्रबंधन का कहना है कि इस संकट कारण सॉफ्टवेयर बदलाव, क्लेम रिजेक्शन और नाफू (नेशनल एंटी-फ्रॉड यूनिट) द्वारा लगाए गए आरोप बताए जा रहे हैं। लेकिन जिन अस्पतालों का क्लियरेंस हो चुका है उन्हें भी पेमेंट नहीं दिया जा रहा है। उनका कहना है कि अस्पतालों में अब संचालन असंभव हो गया है। हजारीबाग जिले में लगभग 20 निजी अस्पताल पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। कई अस्पताल ओवरड्राफ्ट या बैंक लोन लेकर अपने कर्मचारियों को वेतन दे रहे हैं। अब तो बैंक ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। पलामू जिले में अस्पतालों ने चेतावनी दी है कि वे अगले हफ्ते से सेवाएं बंद कर सकते हैं। सबसे गंभीर आरोप यह है कि सरकार ने आरोपों से मुक्त हो चुके अस्पतालों का भी भुगतान रोक रखा है। अस्पतालों ने बताया कि इलाज की मंजूरी अधिकारियों द्वारा दी जाती है, इसके बावजूद भी उनका भुगतान होल्ड कर दिया जाता है, जो अनुचित है।
नहीं हो रही समिति की बैठक
इसके अलावा, शिकायत निवारण समितियों की बैठकें भी नियमित नहीं हो रही हैं। कई जिलों में तो कार्यक्रम की शुरुआत से अब तक एक भी बैठक नहीं हुई। यहां तक कि कमिटी भी गठित नहीं हुई है। म अस्पतालों का कहना है कि यदि यह स्थिति बनी रही तो उन्हें मजबूरी में इलाज बंद करना पड़ेगा। उन्होंने अपील की है कि सरकार योजना को बचाए रखना चाहती है तो तत्काल भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।