RANCHI (JHARKHAND): भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज ने झारखंड में राज्य महिला आयोग के गठन नहीं होने पर राज्य सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने इसे न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही, बल्कि महिलाओं के अधिकारों का सीधा हनन बताया है। राफिया नाज ने कहा कि महिला आयोग का न होना, खुद एक अपराध है। आखिर झारखंड सरकार कब जागेगी?
महिलाओं को नहीं मिल पा रहा न्याय
राफिया ने कहा कि वर्ष 2020 में महिला आयोग का कार्यकाल समाप्त हो गया था। लेकिन पांच वर्षों बाद भी इसका पुनर्गठन नहीं किया गया है। इसका सीधा असर राज्य की हजारों महिलाओं पर पड़ा है, जिन्हें अब तक न्याय नहीं मिल पाया। उन्होंने बताया कि आयोग के नहीं रहने के कारण यौन शोषण, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, बाल विवाह और कार्यस्थल पर उत्पीड़न जैसे 5,200 से अधिक मामले लंबित हैं।
राज्य सरकार की घोषणाएं खोखली
भाजपा प्रवक्ता ने राज्य सरकार की घोषणाओं को खोखला बताते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण की बात करने वाली सरकार, महिलाओं के लिए न्यूनतम न्याय मंच तक संचालित नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि महिला अपराधों के लिए विशेष अदालतों और महिला पुलिस पिकेट की घोषणाएं केवल कागजों पर सजी हुई हैं। ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में तो महिलाएं खुद को पूरी तरह असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
सरकार ने मूंद रखी है आंखें
राफिया ने कहा कि आयोग की अनुपस्थिति खासतौर पर आदिवासी और गरीब महिलाओं पर असर डाल रही है। उन्होंने जानकारी दी कि 2021 से 2023 के बीच झारखंड में बाल विवाह के 1,400 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन 80% मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। डायन बिसाही के नाम पर हो रही महिलाओं की हत्याओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आंख मूंदे बैठी है। NCRB के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2023 में झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 6,313 मामले दर्ज हुए, जिनमें दुष्कर्म के 1,052 और छेड़छाड़ के 1,498 मामले शामिल हैं। इनमें से अधिकांश मामलों में चार्जशीट तक दाखिल नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जहां नारी शक्ति वंदन योजना और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं के जरिये महिलाओं को सशक्त बना रही है, वहीं झारखंड सरकार संवैधानिक निकाय का गठन तक नहीं कर सकी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा हम हर पीड़िता की आवाज बनेंगे और झारखंड की हर बेटी को न्याय दिलाने तक संघर्ष जारी रहेगा।
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