पटना : बिहार के मुंगेर जिला स्थित जमालपुर रेलवे स्टेशन पर एक बार फिर रेल दुर्घटना का मामला सामने आया है। इस बार यह हादसा शंटिंग के दौरान हुआ, जब एक इलेक्ट्रिक इंजन पटरी से उतर गया। घटना ने रेलवे अधिकारियों और यात्रियों में हड़कंप मचा दिया, लेकिन गनीमत रही कि किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।
घटना का विवरण
यह घटना 8 नवंबर की शाम को हुई, जब जमालपुर स्टेशन के लाइन संख्या तीन पर एक इलेक्ट्रिक इंजन, नंबर 30029, खड़ा किया गया था। शंटिंग के दौरान इंजन के तीन पहिए अचानक रेलवे ट्रैक से उतर गए। बताया जा रहा है कि इंजन को खड़ा करने के बाद शंटिंग मैन और लोको पायलट अपनी ड्यूटी से चले गए थे, लेकिन कुछ समय बाद इंजन अपने आप लुड़कते हुए करीब 50 मीटर आगे बढ़ गया और आरआरआइ (रूट रिले इंटरलाकिंग) क्रासिंग के पास तीन पहिए पटरी से उतर गए।
इंजन के पटरी से उतरने के बाद रेलवे ट्रैकों पर अवरोध उत्पन्न हो गया, जिससे किऊल-जमालपुर-भागलपुर रेल खंड पर तीन नंबर लाइन से गुजरने वाली ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया। हालांकि, एक और दो नंबर लाइन से ट्रेनें सामान्य रूप से चलती रहीं। डाउन मार्ग में दिल्ली से कामाख्या जा रही ब्रह्मपुत्र मेल और अप लाइन में साहिबगंज से दानापुर जाने वाली इंटरसिटी ट्रेनें करीब आधे घंटे तक प्रभावित हुईं।
बचाव कार्य और रेलवे अधिकारियों की सक्रियता
जमालपुर रेलवे स्टेशन पर यह घटना होने के बाद रेलवे के इंजीनियरिंग और कैरेज विभाग के कर्मी घटनास्थल पर पहुंचे। जानकारी मिलते ही पीडब्ल्यूआइ और सेक्शन इंजीनियर की टीम भी मौके पर पहुंची और राहत कार्य शुरू किया। घटनास्थल पर पटरी से उतरे तीनों पहियों को सही जगह पर लाने के लिए इंजीनियरिंग उपकरणों जैसे हैंड जैक का इस्तेमाल किया गया। इसके बावजूद राहत और बचाव वाहन (एआरटी) घटनास्थल पर दो घंटे बाद पहुंचे, जो रेलवे के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
ट्रेनों के परिचालन पर प्रभाव
हालांकि, घटना के बाद ट्रेनों के परिचालन पर अधिक असर नहीं पड़ा, क्योंकि तीन नंबर लाइन से ट्रेन संचालन को रोक दिया गया था। लेकिन इस दुर्घटना से यात्रियों को असुविधा जरूर हुई, खासकर ब्रह्मपुत्र मेल और इंटरसिटी ट्रेनों में। स्टेशन प्रबंधक संजय कुमार ने बताया कि हादसे के बाद स्टेशन पर ट्रेनों के संचालन को नियंत्रित किया गया और तीन नंबर लाइन से ट्रेनें चलने की अनुमति नहीं दी गई, जबकि एक और दो नंबर लाइन से ट्रेनें सामान्य रूप से चलती रहीं।
पिछले महीने भी एक रेल हादसा
यह पहली बार नहीं है जब बिहार में रेल दुर्घटना हुई हो। इससे पहले गया जिले में भी एक इंजन आउट ऑफ कंट्रोल होने के कारण रेलवे ट्रैक से उतर गया था। उस घटना में गया-किऊल रेल लाइन पर वजीरगंज स्टेशन और कोल्हना हाल्ट के बीच एक इंजन तेजी से लूप लाइन के आगे बढ़ते हुए खेतों में पहुंच गया था। यह घटना भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी और यात्रियों के बीच खौफ का कारण बनी थी।
रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह घटना एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था और शंटिंग प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करती है। यद्यपि इस बार बड़ी दुर्घटना टल गई, लेकिन बार-बार हो रही इस तरह की घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि रेलवे को अपनी शंटिंग प्रक्रियाओं और सुरक्षा उपायों में सुधार करने की आवश्यकता है। जब इंजन बिना किसी नियंत्रण के पटरी से उतर सकता है, तो यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे को अधिक सतर्क और जिम्मेदार होने की जरूरत है।
रेलवे अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और मालदा रेल मंडल की टीम मामले की पूरी जांच करेगी। इसके बाद ही पता चलेगा कि यह घटना शंटिंग प्रक्रिया में किसी लापरवाही का परिणाम थी या फिर किसी अन्य तकनीकी कारणों से हुई।
बिहार में हो रही रेल दुर्घटनाओं से यह स्पष्ट है कि रेलवे को अपनी इंजन शंटिंग प्रक्रियाओं और ट्रैक सुरक्षा के मामले में सुधार करना चाहिए। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और ऐसे हादसों को रोकने के लिए रेलवे को अपनी सुरक्षा व्यवस्थाओं में सुधार करना होगा।
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