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RAMADAN 2025 : रमजान: इबादत-ए-इलाही में गुजरा पहला रोजा

उलेमा और सामाजिक संगठनों ने जकात की राशि से जरूरतमंदों की मदद के साथ तालीम को बढ़ाने का लिया फैसला

by Rakesh Pandey
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जमशेदपुर: रमजान माह का आगाज हो गया है। रविवार को मुस्लिम समुदाय ने पूरी अकीदत के साथ पहला रोजा रखा। आम दिनों के मुकाबले दो गुना नमाजी मस्जिदों में इबादत के लिए पहुंचे थे। शाम को रोजेदारों ने इफ्तार कर पहला रोजा मुकम्मल किया। यह सिलसिला 29 या 30 दिनों तक चलेगा। एक ओर जहां बाजारों में चहल पहल बढ़ी तो वहीं घरों और मस्जिदों में लोग इबादत करते हुए नजर आए।

इस महीने का खास महत्व है। इसके महत्व को लेकर मस्जिदों में तकरीरें भी हुईं। वहीं मस्जिदों में नमाज-ए-फजर, जुहर, असर, मगरिब और एशा के बाद हजारों हाथ अमन और शांति के लिए उठे। हर नमाज के बाद खुदा से गुनाहों की माफी और सही रास्ते पर चलने के लिए दुआ मांगी गई। उलेमा ने लोगों को हिदायत देते हुए कहा बाजारों में वक्त गुजारने की बजाय इबादत में समय लगाएं।

सदका, जकात से जरूरतमंदों की मदद, तालीम को बढ़ावा

रमजान का मुकद्दस महीना शुरू हो चुका है। पवित्र माह में इस बार रोजा और इबादत के साथ सोशल मैनेजमेंट को बढ़ाने की तैयारी है। उलेमा और सामाजिक संगठनों ने सदका और जकात (दान) की राशि जरूरतमंदों की मदद के साथ तालीम (शिक्षा) को बढ़ाने में इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। जकात इस्लाम के 5 स्तंभ में से एक है।

इस राशि का उपयोग समाज की भलाई खासतौर से तालीम के लिए करने पर जोर दिया गया। इस पहल से राशि को ऐसे सोशल सेक्टर में उपयोग किया जाएगा जो सीधे लोगों से जुड़े हैं। मदीना मस्जिद के इमाम मुफ्ती अब्दुल मलिक मिस्बाही ने कहा जकात जरूरतमंदों की मदद का एक जरिया है। एक ऐसा संपन्न व्यक्ति, जो मानसिक रूप से स्वस्थ है और जिस पर कोई कर्ज नहीं है, वह जकात दे। उसे अपनी संपत्ति का कुल ढाई प्रतिशत सालाना जकात के रूप में गरीब, जरूरतमंद, आर्थिक रूप से कमजोर बेसहारा व्यक्ति को ये राशि अदा करनी होती है। जरूरतमंदों तक इस राशि को पहुंचाने के उद्देश्य से कई लोग इसे संगठनों में जमा कराते हैं।

इस बार चार जुमे, जुमातुलविदा 28 मार्च को

इस बार माह-ए-रमजान में चार जुमे होंगे। पहला जुमा 07 मार्च मार्च, दूसरा 14 मार्च, तीसरा 21 मार्च और जुमातुलविदा की नमाज 28 मार्च को अदा की जाएगी। माह रमजान के 30 रोजे पूरे होने के बाद 29 मार्च चांद दिखने के अनुसार ईद उल फितर का त्योहार मनाया जाएगा। इस बार 30 या 31 मार्च को ईद हो सकती है।

3 से 27 दिन में मुकम्मल होगा कुरान

शहर की मस्जिदों में तरावीह हो रही है। कई प्रमुख मस्जिदों में 21 से 27 दिन में कुरान पूरा होगा। कई जगह यह 10 दिन तो कहीं 15 दिन में पूरा किया जा रहा है। कुछ जगह यह तीन दिन में पूरा किया जा रहा है। तरावीह में इमाम कुरान का पाठ करते हैं।

अल्लाह की इबादत में मशगूल रहे नन्हें रोजेदार

अल्लाह से प्यार व इबादत की कोई उम्र नहीं होती। बड़ों के साथ-साथ छोटे भी अल्लाह की इबादत में मशगूल रहे। छोटे बच्चों ने रमजान के पाक महीने में पहला रोजा रखकर इबादत की। नन्हें रोजेदारों ने भी नमाज पढ़ी और अल्लाह पाक से दुआ मांगी।

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