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Ramdas Soren Political Journey : झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का जीवन संघर्ष, राजनीति और योगदान

पहली बार रामदास सोरेन 2009 में और दूसरी बार 2019 में विधायक बने। वह जेएमएम के पूर्वी सिंहभूम के जिला अध्यक्ष भी हैं।

by Reeta Rai Sagar
Jharkhand Education Minister Ramdas Soren passes away in Delhi hospital
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Jamshedpur : पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) जिले के घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के विधायक और झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का निधन राज्य के लिए एक बड़ी क्षति है। संथाल आदिवासी समुदाय से आने वाले रामदास सोरेन ने अपने चार दशक लंबे राजनीतिक सफर में झारखंड आंदोलन से लेकर मंत्री पद तक का सफर तय किया।

झामुमो से जुड़कर शुरू किया संघर्ष

वर्ष 1980 में रामदास सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से राजनीति की शुरुआत की और झारखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। आंदोलन के दौरान उन्हें घोड़ाबांधा पंचायत सचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्होंने क्रमशः प्रखंड सचिव, अनुमंडल सचिव और विभाजित पूर्वी सिंहभूम जिला सचिव के रूप में कार्य किया।

चुनावी सफर: हार-जीत के बीच मजबूत होती पहचान

1995: जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, भाजपा के रघुवर दास से मुकाबला किया, लेकिन 7,306 वोट पाकर हार गए।

2004: झामुमो से टिकट न मिलने पर घाटशिला से निर्दलीय उम्मीदवार बने, दूसरे स्थान पर रहे।

2009: झामुमो प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के प्रदीप बलमुचू को 1,192 वोटों से हराकर पहली बार विधायक बने।

2014: भाजपा के लक्ष्मण टुडू से चुनाव हार गए।

2019: झामुमो के टिकट पर भाजपा के लखन चंद्र मार्डी को हराकर फिर से विधायक बने।

मंत्री पद और महत्वपूर्ण योगदान

30 अगस्त 2024 को चंपाई सोरेन के इस्तीफे के बाद उन्हें हेमंत सोरेन कैबिनेट में शामिल किया गया।

पहले कार्यकाल (30 अगस्त–28 नवंबर 2024) में उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा और जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी मिली।

दिसंबर 2024 में फिर से विधायक बनने के बाद स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री बने और अपने कार्यकाल में शिक्षा की गुणवत्ता सुधार और ढांचागत विकास पर जोर दिया।

उन्होंने घाटशिला प्रखंड के हैदलजुड़ी में पंडित रघुनाथ मुरमू विश्वविद्यालय और ट्राइबल म्यूजियम की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, जिसका निर्माण कार्य वर्तमान में प्रगति पर है।

संगठन में मजबूत पकड़

कोल्हान क्षेत्र में चंपाई सोरेन के बाद रामदास सोरेन को झामुमो का दूसरा बड़ा चेहरा माना जाता था। वे लंबे समय तक प्रखंड सचिव, जिला सचिव और पूर्वी सिंहभूम जिला अध्यक्ष के पद पर रहे। आदिवासी समाज और कमजोर वर्गों के मुद्दों पर वे हमेशा मुखर रहते थे।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

रामदास सोरेन का जन्म 1 जनवरी 1963 को पूर्वी सिंहभूम जिले के घोड़ाबांधा क्षेत्र के दामपाड़ा स्थित खरसती गांव में हुआ था। उनके दादा टेल्को कर्मचारी और पिता ग्राम प्रधान थे। उन्होंने को-ऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर से स्नातक की पढ़ाई की।

उनके परिवार में एक पुत्री (बैंक ऑफ इंडिया, दिल्ली में मैनेजर), दो पुत्र (व्यवसायी) और एक पुत्र (UPSC की तैयारी में) हैं।

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