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Ramdas Soren Death : माझी बाबा से मंत्री तक : संथाल समाज के ‘जननायक’ रामदास सोरेन, जिनका दिल गरीबों के लिए धड़कता था

by Rakesh Pandey
Jharkhand Education Minister Ramdas Soren passes away in Delhi hospital
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रांची : झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि आदिवासी समाज के एक मजबूत स्तंभ और संथाल समुदाय के माझी बाबा भी थे। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में शुक्रवार रात को उनका निधन हो गया, लेकिन उनके जीवन की जो सबसे खास बात रही, वह थी जनता से उनका सीधा और आत्मीय जुड़ाव।

Ramdas Soren Death : माझी बाबा की परंपरा से मंत्री पद तक का सफर

संथाल समाज में ‘रूढ़ी प्रथा’ के तहत गांव में सामाजिक और पारंपरिक न्याय व्यवस्था के लिए एक विशेष व्यक्ति को माझी बाबा नियुक्त किया जाता है। यह व्यक्ति न केवल ग्राम प्रधान होता है, बल्कि जन्म, विवाह, मृत्यु, विवादों के समाधान और सांस्कृतिक आयोजनों में सबसे प्रमुख भूमिका निभाता है। यही जिम्मेदारी रामदास सोरेन ने भी निभाई थी।

उनके दादा और फिर पिता भी घोड़ाबांधा गांव के माझी बाबा थे। उनके निधन के बाद रामदास सोरेन को यह पद सौंपा गया। उस समय वे न विधायक थे और न ही मंत्री, लेकिन उनका नेतृत्व कौशल ऐसा था कि केवल अपने गांव ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों के लोग भी अपने विवादों का समाधान कराने के लिए उनके पास आते थे।

Ramdas Soren Death : थाने से पहले ग्राम सभा में होता था समाधान

रामदास सोरेन का विश्वास था कि गांव की समस्याओं का समाधान गांव में ही होना चाहिए। वे स्थानीय विवादों को कभी भी पुलिस थाने तक नहीं पहुंचने देते थे। उनकी पंचायत में बैठकर किए गए फैसले पारदर्शी, निष्पक्ष और समाज हितैषी माने जाते थे। उनके इस योगदान को देखते हुए संथाल समाज की सबसे बड़ी संस्था माझी परगना महाल ने उन्हें कई बार सम्मानित किया।

ओलचिकी को बढ़ावा, शिक्षा के लिए स्कूल

माझी बाबा के रूप में कार्य करते हुए रामदास सोरेन ने संथाली भाषा की लिपि ‘ओलचिकी’ के प्रचार-प्रसार के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने स्थानीय स्कूलों में ओलचिकी लिपि की शिक्षा को बढ़ावा दिया और आदिवासी बच्चों की पढ़ाई के लिए संसाधन उपलब्ध कराए।

मंत्री पद भी नहीं बदल सकी उनकी सेवा भावना

जब रामदास सोरेन झारखंड सरकार में मंत्री बने, तब उनके परिवार के लोगों ने सुझाव दिया कि अब उन्हें माझी बाबा का पद किसी और को सौंप देना चाहिए। इस पर उन्होंने दोटूक कहा कि मैं मंत्री पद छोड़ सकता हूं, लेकिन माझी बाबा का पद नहीं छोड़ूंगा। यही मेरी असली पहचान है।

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