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RANCHI MUNICIPAL CORPORATION: 48 करोड़ की बिल्डिंग का नहीं हो रहा मेंटेनेंस, हादसे का इंतजार कर रहा नगर निगम 

by Vivek Sharma
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VIVEK SHARMA 

RANCHI (JHARKHAND): झारखंड की राजधानी में स्थित रांची नगर निगम की बहुचर्चित 48 करोड़ रुपये की बिल्डिंग इन दिनों अपनी दुर्दशा को लेकर चर्चा में है। यह आलीशान बिल्डिंग अब जर्जर होती जा रही है। इतना ही नहीं पूरे शहर की व्यवस्था देखने वाले नगर निगम का ध्यान अपने ही भवन पर नहीं है। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। भवन का किसी भी तरह का मेंटेनेंस नहीं किया जा रहा है। भवन की ऊंचाई से टाइल्स के गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं। जिससे नगर निगम में काम कराने के लिए आने वाले लोगों की जान पर खतरा बना हुआ है। 

क्षतिग्रस्त हो चुकी है बाइक

कुछ दिन पहले एक घटना में नीचे खड़ी एक बाइक पर भारी टाइल गिर गई, जिससे वह क्षतिग्रस्त हो गई। राहत की बात ये रही कि कोई व्यक्ति उस समय वहां मौजूद नहीं था, वरना बड़ी अनहोनी हो सकती थी। निगम में आने वाले लोगों का कहना है कि भवन की ऊपरी मंजिलों में लगाई गई भारी-भरकम टाइल्स को क्लिप की मदद से लगाया गया है, जो अब समय के साथ ढीली होकर गिर रही हैं। ऐसी स्थिति में अगर कोई व्यक्ति या कर्मचारी भवन के आसपास मौजूद हो, तो उसे गंभीर चोटें आ सकती हैं। बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारी अब तक किसी भी प्रकार की मरम्मत या सुरक्षात्मक कार्रवाई नहीं कर पाए हैं।

भीतर से भी जर्जर हालत

केवल बाहरी हिस्से ही नहीं, इस करोड़ों की लागत से बनी इमारत के अंदर की स्थिति भी ठीक नहीं है। कार्यालय परिसर में दीवारों में सीपेज हो रही है। कई जगहों पर प्लास्टर उखड़ गए हैं। इससे साफ होता है कि भवन निर्माण के दौरान गुणवत्तापूर्ण सामग्री का प्रयोग नहीं किया गया या फिर उसके रखरखाव को लेकर पूरी तरह से लापरवाही बरती गई है। इसके अलावा बाथरूम में भी मेंटेनेंस का अभाव है। नल से पानी भी नहीं आता। 

फर्श के ब्लॉक्स भी उखड़े

भवन के बाहर बने फर्श में लगे ब्लॉक्स भी जगह-जगह से उखड़ चुके हैं। इससे पैदल चलने वाले लोगों को गिरने का खतरा बना रहता है। खास तौर पर बरसात के मौसम में यह परेशानी और बढ़ गई है। वहीं बाइक से आने वालों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। 

प्रशासन ने साध रखी है चुप्पी

सबसे हैरानी की बात यह है कि इन घटनाओं की जानकारी होने के बावजूद नगर निगम प्रशासन कोई संज्ञान नहीं ले रहा है। न तो टाइल्स की मरम्मत हो रही है, न ही अस्थायी बैरिकेडिंग या चेतावनी बोर्ड लगाए जा रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन एक बड़े हादसे के इंतजार में है, जिसके बाद ही शायद अधिकारियों की नींद खुलेगी। हालांकि नगर निगम के कर्मचारियों में इस लापरवाही को लेकर गहरी नाराजगी है। वहीं लोगों का कहना है कि जब नगर निगम अपने ही कार्यालय की देखभाल नहीं कर सकता, तो शहर की सफाई, सड़क, पानी और अन्य जरूरी सेवाओं की गुणवत्ता की कल्पना कैसे की जा सकती है।

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