रांची: धरती आबा बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर सोमवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। राजधानी रांची के कोकर स्थित उनके समाधि स्थल पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, चंपाई सोरेन, विधायक कल्पना सोरेन, सांसद महुआ माजी, दीपक प्रकाश, सीपी सिंह और अन्य कई जनप्रतिनिधि ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों और ढोल-नगाड़ों के साथ हुई। बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पगड़ी बांधी गई और श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। आदिवासी समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस अवसर पर समाधि स्थल को सजाया गया था।

राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा कि बिरसा मुंडा केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि आदिवासी चेतना के प्रतीक हैं। उन्होंने अंग्रेजों की नीतियों का डटकर विरोध किया और समाज को आत्मसम्मान की राह दिखाई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बताया और कहा कि राज्य सरकार उनके दिखाए रास्ते पर चलकर आदिवासी अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध है।
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बिरसा मुंडा ने झारखंड की धरती से आजादी के आंदोलन की अलग शुरुआत की। वहीं चंपाई सोरेन ने कहा कि आज भी आदिवासी समाज के साथ छल हो रहा है और एक बार फिर उलगुलान की जरूरत है। बता दें कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ था और 9 जून 1900 को रांची जेल में उनका निधन हुआ था। उन्हें ‘धरती आबा’ और ‘उलगुलान’ के नायक के रूप में जाना जाता है।