लखनऊ: वैसे तो इस मामले में कई कहावतें फिट बैठ सकती हैं। एक कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी खोदा पहाड़ निकली चुहिया, लेकिन यह बात सच होती तब दिखी जब असलियत में ही पहाड़ जितना पैसे का ढेर खर्च हुआ और हाथ लगी केवल चुहिया जितनी सफलता। बात रेलवे विभाग की है, जहां अफसरों ने लाखों रुपए खर्च कर के कुछ दर्जन चूहे दबोचे हैं।
चूहों को पकड़ने के लिए जारी हुआ था टेंडर
उत्तर रेलवे ने स्टेशन और प्लेटफार्मों पर घूमने वाले चूहों को पकड़ने के लिए टेंडर जारी किया था, लेकिन एक चूहे को पकड़ने पर जितना खर्च आया है उसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि एक चूहे को पकड़ने के लिए रेलवे की ओर से 41 हजार रुपए खर्च कर दिया गया है।
रेलवे व यात्रियों को हर साल उठना पड़ता है नुकसान
मोटे-मोटे चूहे इधर उधर भागते देखें होंगे। इन चूहों के कारण यात्रियों और रेलवे को हर साल काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए रेलवे इन चूहों को मारने का ठेका जारी करता है। पिछले कुछ समय से उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में चूहा पकड़ने का ठेका सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को दिया गया था। बीते तीन सालों से यही कंपनी चूहे पकड़ रही थी।
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