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‘Operation Sindoor’ ट्रेडमार्क जीतने की दौड़ में रिलायंस भी शामिल, पूर्व वायुसेना अधिकारी और अन्य के साथ

यह मामला भारतीय सैन्य कार्रवाई के नामों के व्यावसायिक उपयोग और उनके कानूनी अधिकारों पर एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है।

by Reeta Rai Sagar
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  • ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रेडमार्क विवाद

सेंट्रल डेस्कः सेना की इस महत्वपूर्ण कार्रवाई के बाद, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम को लेकर चार entities ने ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए आवेदन किया। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, मुंबई निवासी मुकेश चेतराम अग्रवाल, सेवानिवृत्त भारतीय वायुसेना अधिकारी ग्रुप कैप्टन कमल सिंह ओबरॉय और दिल्ली स्थित वकील आलोक कोठारी शामिल हैं। इन सभी ने 7 मई 2025 को दिन के 10:42 बजे से 6:27 बजे के बीच क्लास 41 के तहत आवेदन किया, जो शिक्षा, मनोरंजन, मीडिया और सांस्कृतिक सेवाओं से संबंधित है।

क्या सैन्य ऑपरेशन नामों पर ट्रेडमार्क पंजीकरण संभव है?
भारत में सैन्य ऑपरेशन नामों पर ट्रेडमार्क पंजीकरण की कोई स्वचालित रोक नहीं है। रक्षा मंत्रालय सामान्यतः ऐसे नामों का पंजीकरण नहीं करता और न ही उनका व्यावसायिक उपयोग प्रतिबंधित करता है। हालांकि, ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 के तहत यदि कोई नाम भ्रामक, धोखाधड़ीपूर्ण या सार्वजनिक भावना के विपरीत हो, तो उसे पंजीकरण से रोका जा सकता है। इसलिए, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम का पंजीकरण कानूनी चुनौती के अधीन हो सकता है।

ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया और विवाद समाधान
भारत में ट्रेडमार्क पंजीकरण केवल पहले आवेदनकर्ता को नहीं मिलता; बल्कि, रजिस्ट्रार उपयोग की मंशा, सार्वजनिक भ्रम की संभावना, विशिष्टता और विरोध दावों पर विचार करता है। जब एक ही नाम के लिए कई आवेदन एक साथ आते हैं, तो परीक्षा प्रक्रिया स्थगित हो सकती है, और विवादों का समाधान औपचारिक विरोध या सह-अस्तित्व समझौतों के माध्यम से किया जाता है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम की व्यावसायिक उपयोगिता और इसके ट्रेडमार्क पंजीकरण को लेकर कानूनी और सार्वजनिक भावना के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं। यह मामला भारतीय सैन्य कार्रवाई के नामों के व्यावसायिक उपयोग और उनके कानूनी अधिकारों पर एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है।

ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई
7 मई 2025 को भारतीय सेना ने पुलवामा आतंकी हमले के प्रतिशोध में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-नियंत्रित कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इनमें जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर स्थित ठिकाना और लश्कर-ए-तैयबा का मुरिदके स्थित अड्डा शामिल थे। यह कार्रवाई जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या के दो सप्ताह बाद की गई।

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