नई दिल्ली/Eid Celebration: आज देश में धूमधाम से ईद-अल-फितर मनाया जा रहा है। इस मौके पर देश में सभी जगहों पर मस्जिदों में नमाज अदा की गई। ईद-उल-फितर का त्योहार, जिसे मीठी ईद और ईद-अल-फितर के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, रमजान के पवित्र महीने, उपवास के इस्लामी पवित्र महीने के अंत का प्रतीक है। हिजरी के 10वें महीने शव्वाल के पहले तीन दिनों में मनाया जाता है।
ईद के दिन सुबह की नमाज पढ़ने के साथ ही इसकी शुरुआत हो गई। लोगों ने सुबह-सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते हुए अमन और चैन की दुआ मांगी। इसके साथ ही एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी।
बता दें कि आसमान में चांद दिखाई देने के बाद दूसरे दिन ईद की शुरुआत ईद की नमाज से होती है। हर शहर में ईद की नमाज का समय अलग-अलग होता है। ईद-उल-फितर में मीठे पकवान विशेषकर सेंवईंयां बनाने का रिवाज है। इस दिन लोग आपस में गले मिलकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं और प्रेम से एक-दूसरे को घर में बनी मिठाइयां व पकवान परोसते हैं।
इस दिन लोग एक दूसरे को ईदी भी देते हैं। ईदी एक तरह से तोहफा होता है। इसमें कुछ गिफ्ट आइटम या पैसे या फिर कुछ और तोहफे दिए जाते हैं।
इस्लाम धर्म में रमजान का महीना बहुत ज्यादा पाक माना जाता है। इस पूरे महीने मुस्लिम लोग रोजा यानी उपवास रखते हैं और अपना ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में बिताते हैं। मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए इस महीने के आखिर में रोजे के समापन का प्रतीक ईद-उल-फितर मनाते हैं, जिसे मीठी ईद भी कहा जाता है।
मान्यताओं के अनुसार इस्लाम के आखिरी पैगंबर नबी मुहम्मद ने जंग-ए-बद्र में जीत हासिल की थी, जिसकी खुशी में ईद का त्योहार मनाया जाता है। पैगंबर मुहम्मद के लिए जंग-ए-बद्र जीतना आसान नहीं था, क्योंकि उनके सामने दुश्मनों की भारी भरकम फौज थी, जबकि उनके साथ सिर्फ 303 अनुयायी मौजूद थे।
खास बात है कि वह रमजान का महीना चल रहा था और पैगंबर और उनके सभी साथियों ने रोजा रखा हुआ था। इसके बावजूद पैगंबर ने वीरता का सबूत दिखाते हुए दुश्मन की फौज को धूल चटा दी थी। जंग-ए-बद्र की जीत के बाद ईद का त्योहार मनाया गया।
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