

Ranchi (Jharkhand) : राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में कर्मियों के वेतन भुगतान को लेकर मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता रिम्स निदेशक प्रो (डॉ) राजकुमार ने की। इस बैठक में सीएसएसडी (Central Sterile Services Department) और लांड्री सेवाओं के लंबित बिलों के भुगतान में हो रही देरी के कारणों पर गहन चर्चा हुई। निदेशक ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अब से कर्मियों को समय पर वेतन न देने वाले ठेकेदारों पर सीधे मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

बाहरी एजेंसी मेडीलैब पर लापरवाही का आरोप
रिम्स में सीएसएसडी और लांड्री की सेवाएं बाहरी एजेंसी मेडीलैब द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं। बैठक में यह बात सामने आई कि एजेंसी अपने अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन कर रही है। निविदा की शर्तों और उसके बाद किए गए समझौते के अनुसार, यदि किसी कारणवश संस्थान की ओर से भुगतान में विलंब होता है, तब भी एजेंसी को अपने कर्मियों को वेतन भुगतान करते रहना है। लेकिन, मेडीलैब इस शर्त का पालन नहीं कर रही थी, जिसके कारण कर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा था। इसके अलावा, एजेंसी ने पूर्व के कुछ बिल भी देरी से प्रस्तुत किए थे, जिसे लेकर रिम्स प्रबंधन ने उससे स्पष्टीकरण भी मांगा था।

कर्मियों से सीधी बातचीत, एक सप्ताह में भुगतान का आश्वासन
मौके पर चिकित्सा उपाधीक्षक ने खुद एजेंसी के कर्मचारियों से बात की और उनसे भुगतान में देरी की शिकायत एजेंसी से न करने के बारे में जानकारी ली। इस पर कर्मचारियों ने बताया कि ठेकेदार रिम्स नहीं आता है और सुपरवाइजर भी मामले का समाधान नहीं कर पा रहा है। चिकित्सा अधीक्षक और उपाधीक्षक की मध्यस्थता के बाद, एजेंसी की ओर से सभी लंबित वेतन का एक सप्ताह के अंदर भुगतान करने का लिखित आश्वासन मिला। इसके बाद, कर्मचारियों ने अपना काम फिर से शुरू कर दिया और सभी सेवाएं पुनः बहाल हो गईं।

निदेशक का कड़ा रुख: 5 दिन में रिपोर्ट और FIR की चेतावनी
रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार ने इसे लेकर फाइलों में पहुंचने में देरी के कारणों को चिन्हित करते हुए पांच दिनों के अंदर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। साथ ही, उन्होंने एजेंसी का लंबित भुगतान तीन दिनों के भीतर करने का भी आदेश दिया है। डॉ. राजकुमार ने कड़े शब्दों में कहा कि यदि ठेकेदार की गलती पाई जाती है, तो उस पर अनिवार्य सेवाओं को बाधित करने और निविदा शर्तों का पालन नहीं करने के आरोप में एफआईआर (FIR) भी दर्ज की जाएगी। यह कदम रिम्स में आउटसोर्स कर्मचारियों के हितों की रक्षा और सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
