Ranchi: मौसम पल-पल बदल रहा है। दिन में तेज धूप और दोपहर के बाद तापमान में अचानक गिरावट से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जिसका बच्चों के स्वास्थ्य पर सीधा असर देखा जा रहा है। वहीं बड़े लोग भी इससे अछूते नहीं है। हालात ये है कि हर तीसरा व्यक्ति वायरल की चपेट में है। वहीं तापमान में गिरावट से सर्दी-खांसी तो आम हो गई है। वहीं इसे ठीक होने में भी सामान्य की तुलना में ज्यादा समय लग रहा है। ऐसे में डॉक्टरों के पास मरीजों की लंबी लाइन लगी है। वहीं हॉस्पिटलों की बात करे तो वहां भी मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। हालांकि डॉक्टर लोगों को खुद से या मेडिकल स्टोर से पूछकर एंटी बायोटिक लेने से मना कर रहे है। जिससे कि लोगों के शरीर पर इसके दुष्प्रभाव को रोका जा सके।
बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी
रांची के विभिन्न हॉस्पिटलों और क्लीनिक में वायरल इंफेक्शन से पीड़ित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पेडिया के डॉक्टरों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह में ठंड के साथ-साथ दिन और रात के तापमान में उतार-चढ़ाव ने बच्चों को ज्यादा संवेदनशील बना दिया है। प्रदूषण और खराब एयर क्वालिटी ने भी स्थिति को गंभीर कर दिया है। इस वजह से बच्चों में इंफेक्शन बढ़ा हुआ है। अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में बच्चों को और ज्यादा परेशानी हो सकती है।
बच्चों को फीवर और सांस लेने में तकलीफ
पेडियाट्रिशियन डॉ. अनिताभ कुमार ने बताया कि हाल के दिनों में बच्चों में कफ, सर्दी, बुखार, उल्टी, गले का संक्रमण और सांस से जुड़ी समस्याएं अधिक देखने को मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि हम बच्चों में वायरल फीवर और ऊपरी श्वसन तंत्र के संक्रमण के मामलों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देख रहे हैं। माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को पर्याप्त पानी, पौष्टिक भोजन और पूरा आराम दें ताकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे। अधिकांश इंफेक्शन खुद से ठीक हो जाते हैं। लेकिन ये भी ध्यान देने की जरूरत है कि अगर लक्षण तीन से लेकर पांच दिन से अधिक बना रहें तो डॉक्टर से कंसल्ट करने की सलाह दी जा रही है।
रिम्स में भी बढ़ गए मरीज
रिम्स में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। हॉस्पिटल के आंकड़ों के अनुसार, पेडियाट्रिक ओपीडी में रोजाना आने वाले बच्चों में 40 से 50 बच्चे ठंड, खांसी और बुखार से संबंधित समस्याएं लेकर पहुंच रहे हैं। पेडियाट्रिशियन डॉ. यूपी साहू ने बताया कि करीब एक-तिहाई ओपीडी मरीज मौसमी वायरल संक्रमण से प्रभावित हैं। मौसम बदलने के दौरान बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। वहीं रिम्स मेडिसिन विभाग के डॉ बी कुमार ने कहा कि लोग ठंड की चपेट में आ रहे है। सुबह-शाम के मौसम में बड़ा अंतर है। ऐसे में ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। ठंड की वजह से गले में इंफेक्शन और खांसी तो आम है। इसे ठीक होने में भी ज्यादा समय लग रहा है। लोग खुद से एंटीबायोटिक लेने से बचे। चूंकि बिना मतलब एंटीबायोटिक लेने से इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते है।
डायबिटीज वालों को निमोनिया का खतरा
सदर के डॉ हिमालय झा ने बताया कि ठंड में इंफ्लुएंजा की चपेट में लोग आ रहे है। ऐसे में लोगों को आइसोलेशन में रहने की जरूरत है। डायबिटीज और क्रोनिक डिजीज वाले मरीजों को ज्यादा अलर्ट रहना है चूंकि उन्हें निमोनिया का खतरा है। वे वैक्सीन ले सकते है। इंफ्लुएंजा की वैक्सीन इयरली लेनी है। अभी कोल्ड डायरिया भी चल रहा है। जिसमें हैंड हाइजीन, फूड हैबिट के अलावा बासी खाना खाने से बचने की जरूरत है। साथ ही कहा कि ठंड में बीपी बढ़ने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। एक्टिविटी कम हो जाती है। ऐसे में हार्ट का चेकअप कराते रहे।
इन बातों का रखें ध्यान
- मौसम के अनुसार गर्म कपड़े पहनकर बाहर निकले।
- ठंडी हवा और अचानक तापमान परिवर्तन से बचे।
- हाथों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- घर में धूल और प्रदूषण कम रखने की कोशिश करें।
- अगर इंफ्लुएंजा और वायरल के लक्षण दिखे तो आइसोलेट हो जाए।
- दो दिन से अधिक समस्या होने पर तत्काल डॉक्टर से कंसल्ट करे।
- बाहर का और बासी खाना खाने से बचे।
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