RANCHI: रेलवे सुरक्षा बल (RPF) रांची मंडल ने लगातार दो दिनों में दो मानव तस्करी की योजना को विफल कर दिया है। इतना ही इस अभियान में 16 नाबालिगों को रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा आरपीएफ ने भटक कर रांची पहुंचे एक महिला और उसके बच्चे को सही सलामत घर पहुंचने में भी मदद की।

गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई
आरपीएफ रांची को गुप्त सूचना मिली कि ट्रेन संख्या 17322 वास्कोडिगामा एक्सप्रेस से नाबालिग बच्चों को तस्करी कर गोवा ले जाया जा रहा है। सूचना पर तुरंत आरपीएफ पोस्ट रांची, जीआरपी रांची, मुरी थाना पुलिस और एनजीओ की संयुक्त टीम बनाई गई। ट्रेन के मुरी स्टेशन से निकलने के बाद टीम ने चलती ट्रेन में जांच शुरू की और रांची पहुंचने से पहले कई बच्चों की पहचान कर ली।
नौकरी दिलाने ले जा रहा था तस्कर
रात लगभग 9 बजे ट्रेन के रांची स्टेशन पहुंचते ही सभी जेनरल कोच में गहन तलाशी अभियान चलाया गया, जिसमें कुल 13 नाबालिग बच्चों को सुरक्षित बरामद किया गया। हालांकि कोई भी तस्कर पकड़ में नहीं आ सका। पूछताछ में बच्चों ने बताया कि वे जसीडीह स्टेशन से ट्रेन में सवार हुए थे और उन्हें नौकरी के बहाने गोवा ले जाया जा रहा था। आधार कार्ड से पुष्टि हुई कि सभी बच्चे नाबालिग हैं। आरपीएफ ने सभी बच्चों को आगे की कार्रवाई हेतु चाइल्डलाइन रांची के सुपुर्द कर दिया। यह कार्रवाई ऑपरेशन डिग्निटी के तहत की गई।
ट्रेन से रांची पहुंच गए थे मां बेटे
दूसरी घटना 12 अक्टूबर की है। जिसमें रेल मदद के माध्यम से शिकायत प्राप्त हुई कि भरतपुर राजस्थान निवासी करतार सिंह की पत्नी होलिका और पांच वर्षीय पुत्र यश गलती से किसी ट्रेन से रांची पहुंच गए हैं। सूचना मिलते ही आरपीएफ की विशेष टीम ‘मेरी सहेली’ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों को सुरक्षित रांची स्टेशन परिसर में पाया और शिकायतकर्ता को सूचना दी।

बुंडू की रहने वाली है महिला
पूछताछ में महिला ने बताया कि वह मूल रूप से रांची के बुंडू तामाड़ क्षेत्र की निवासी है और नौ वर्ष पूर्व अपनी इच्छा के विरुद्ध राजस्थान में विवाह किया था। पति द्वारा मायके जाने की अनुमति न मिलने पर वह अपने पुत्र के साथ घर लौटने के लिए निकल पड़ी थी। लेकिन उसके पास न कोई मोबाइल था और न ही घर का संपर्क। ऐसे में सहायक सुरक्षा आयुक्त ए.के. सिंह के निर्देश पर टीम ‘मेरी सहेली’ ने स्वयं महिला को उसके घर तक पहुंचाने का निर्णय लिया। एनजीओ और बुंडू थाना पुलिस के सहयोग से जब घर पर जांच की गई तो कोई परिजन नहीं मिले। ऐसे में महिला और बच्चे को सुरक्षित रूप से एनजीओ के सुपुर्द कर दिया गया।