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अब चीन की खैर नहीं : भारत जब चाहे पाकिस्तान-चीन को समंदर में ही कर देगा तहस-नहस, युद्धपोतों के लिए डील पक्की

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली : भारत अपनी समुद्री ताकत को और मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारत ने अपनी नौसेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारत ने हाल ही में इजरायल के साथ मिलकर 2,960 करोड़ रुपये की एक बड़ी डील की है, जिसमें 70 से अधिक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (MR-SAM) शामिल हैं। यह मिसाइल प्रणाली भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की रक्षा क्षमता को और अधिक प्रभावी बनाएगी और समुद्र में चीन व पाकिस्तान की गतिविधियों का सामना करने के लिए तैयार करेगी।

क्या है MR-SAM मिसाइल प्रणाली

MR-SAM एक अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली है, जिसे विशेष रूप से विमानों, हेलीकॉप्टरों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन जैसे खतरों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिसाइल 70 किलोमीटर तक की दूरी पर दुश्मन के लक्ष्यों को ध्वस्त करने में सक्षम है। इस प्रणाली का उपयोग भारतीय नौसेना, वायुसेना और थल सेना द्वारा किया जा रहा है। इसकी खासियत यह है कि यह उच्च गतिशीलता प्राप्त कर सकता है, जिससे यह युद्ध के दौरान तेजी से अपने लक्ष्य को नष्ट कर सकता है।

नौसेना के युद्धपोतों के लिए बड़ा कदम

भारत और इजरायल के बीच इस डील के तहत 70 से अधिक MR-SAM मिसाइलें भारतीय नौसेना के युद्धपोतों को दी जाएंगी। इस मिसाइल प्रणाली को पहले ही कई प्रमुख भारतीय युद्धपोतों पर तैनात किया जा चुका है, जिनमें विमानवाहक पोत INS विक्रांत, कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक, विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक और हाल ही में कमीशन किया गया INS सूरत शामिल हैं। यह मिसाइल प्रणाली भारतीय नौसेना की क्षमताओं को और भी सशक्त बनाएगी, जिससे समुद्र में चीन और पाकिस्तान जैसी शक्तियों को चुनौती देने के लिए भारत पूरी तरह तैयार होगा।

भारत की बढ़ती सैन्य ताकत

इस रक्षा सौदे के साथ भारत ने अपनी सैन्य ताकत को और बढ़ाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह अनुबंध भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक को बढ़ावा देने और अपनी रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस सौदे के तहत MR-SAM प्रणाली का उपयोग अब भारतीय सेना के कई प्लेटफार्मों पर किया जाएगा, जो भविष्य में होने वाली किसी भी सैन्य चुनौती का सामना करने में सक्षम होंगे।

चीनी गतिविधियों पर भारत की नजर

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए, भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों को और तेज़ कर दिया है। चीन ने पहले ही समुद्र में अपनी उपस्थिति बढ़ानी शुरू कर दी है, और उसके पास अत्याधुनिक सैन्य तकनीक भी है। ऐसे में भारत के लिए यह महत्वपूर्ण हो गया है कि वह अपनी नौसेना और वायुसेना की क्षमताओं को मजबूत करे, ताकि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के खिलाफ रक्षा की जा सके। MR-SAM प्रणाली भारतीय सुरक्षा के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि यह किसी भी संदिग्ध विमान, ड्रोन या मिसाइल को अपनी सीमा में प्रवेश करने से पहले नष्ट करने की क्षमता रखती है।

भारतीय सेना की बढ़ती शक्ति

इस मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल सिर्फ भारतीय नौसेना नहीं, बल्कि भारतीय सेना और वायुसेना भी कर रही हैं। फरवरी 2023 में भारतीय सेना ने अपनी पहली ‘अभ्रा’ MR-SAM रेजिमेंट का संचालन शुरू किया था, जिसे सिक्किम और सिलीगुड़ी कॉरिडोर में तैनात किया गया है, जहां चीन के साथ सीमा पर तनाव बना हुआ है। इस मिसाइल प्रणाली की मदद से भारतीय सेना को अपनी सीमाओं की रक्षा में और भी मजबूती मिलेगी, खासकर उन इलाकों में जहां चीन की चुनौती बढ़ती जा रही है।

भारत की रक्षा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव

इस रक्षा सौदे और नए मिसाइल सिस्टम के आगमन से भारत की सुरक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव नजर आ रहा है। भारत अब अधिक आत्मनिर्भर और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों को लागू कर रहा है, जिससे उसकी सुरक्षा क्षमताओं को और सुदृढ़ किया जा रहा है। इस कदम से न केवल भारत अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ा रहा है, बल्कि अपनी समुद्री सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए भी एक मजबूत रणनीति तैयार कर रहा है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह नया रक्षा सौदा भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो न केवल पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के खिलाफ भारत की शक्ति को बढ़ाएगा, बल्कि समुद्र में भी उसकी सामरिक स्थिति को मजबूत करेगा।

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