नई दिल्ली: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर करेंगे। यह शपथ ग्रहण समारोह 20 जनवरी, 2025 को होगा, जब ट्रंप संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे। एस जयशंकर की इस यात्रा से भारत-अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि यह नए अमेरिकी प्रशासन के कार्यकाल की शुरुआत का समय होगा।
20 जनवरी को होगी शपथ ग्रहण की ताजपोशी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह 20 जनवरी, 2025 को स्थानीय समयानुसार दोपहर 12 बजे (भारतीय समयानुसार रात 10:30 बजे) शुरू होगा। इस अवसर पर एस जयशंकर के अलावा कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नेता और गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहेंगे। जयशंकर इस मौके पर केवल शपथ ग्रहण समारोह में ही नहीं, बल्कि नए अमेरिकी प्रशासन के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य भारत-अमेरिका संबंधों को और गहरा करना है, खासकर एच1-बी वीजा सुधारों, सप्लाई चेन के लचीलापन और हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर।
भारत-अमेरिका संबंधों को मिलेगी नई दिशा
जयशंकर की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते और प्रगाढ़ हो सकते हैं। विशेष रूप से अमेरिकी घरेलू और विदेश नीति में बदलाव की उम्मीद है, और भारत इसके लिए तैयार रहेगा। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि ट्रंप प्रशासन के नए दिशा-निर्देशों को समझे और सहयोग के नए अवसरों की पहचान करे। एच1-बी वीजा जैसे मुद्दे, जो भारतीय पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण हैं, उनके बारे में अमेरिकी सरकार की नीति के बारे में स्पष्टता मिल सकती है।
अन्य विदेशी मेहमानों की संभावित उपस्थिति
ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में कई अन्य विदेशी नेता भी भाग ले सकते हैं। इसमें अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली, ब्रिटेन के दक्षिणपंथी नेता निगेल फराज, जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवेआ, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और फ्रांसीसी राजनीतिक पार्टी के एक नेता के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो को भी इस समारोह में आमंत्रित किया गया था, लेकिन उनके पासपोर्ट संबंधी समस्याएं समारोह में उनकी उपस्थिति को संदिग्ध बना सकती हैं। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी समारोह में आमंत्रित किया गया था, हालांकि उनका अनुमानित प्रतिनिधि स्तर कम हो सकता है और वह उच्च स्तरीय दूत भेजने पर विचार कर सकते हैं।
नवीन प्रशासन के साथ सहयोग के नए रास्ते
डोनाल्ड ट्रंप और उनके उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के शपथ ग्रहण के साथ अमेरिकी विदेश नीति और घरेलू नीति में कई नए बदलाव देखने को मिल सकते हैं। भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर होगा, क्योंकि वह अमेरिका के नए प्रशासन के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र, आतंकवाद, व्यापार और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर बातचीत कर सकता है। इसके अलावा, भारत की विदेश नीति के संदर्भ में ट्रंप प्रशासन के दृष्टिकोण को भी समझने का यह एक उपयुक्त समय है।