RANCHI: राजधानी का दूसरे सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल सदर का भले ही देश में नाम हो रहा है। लेकिन मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं में अब भी सुधार की जरूरत है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हॉस्पिटल में पीएम केयर फंड से मिले 75 वेंटीलेटर बेकार पड़े है। जिससे कि मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं 5 वेंटीलेटर के सहारे ही मरीजों का इलाज चल रहा है। ऐसे में गंभीर मरीजों को सीधे दूसरे हॉस्पिटलों में रेफर कर दिया जाता है।
बेकार हो जाएंगे वेंटीलेटर
सदर हॉस्पिटल का नया भवन 500 बेड के सुपरस्पेशियलिटी स्ट्रक्चर के साथ पूरा किया जाना था। धीरे-धीरे हॉस्पिटल में सुविधाएं बढ़ी। वहीं समय के साथ बेड भी बढ़ते जा रहे है। आज इस हॉस्पिटल में 500 से बेड बढ़कर 800 के पार पहुंच चुका है। इसके बावजूद वेंटीलेटर की सुविधा बढ़ाने को लेकर प्रबंधन गंभीरता नहीं दिखा रहा है। वहीं पीएम केयर फंड से मिले वेंटीलेटर का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। जिससे कि ये वेंटीलेटर पड़े-पड़े ही खराब हो जाएंगे।
मरीजों की बढ़ी परेशानी
हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले गंभीर मरीजों के लिए 5 वेंटीलेटर है। इसके बाद गंभीर मरीजों को अन्य हॉस्पिटलों में रेफर कर दिया जाता है। इससे न केवल मरीजों को परेशानी हो रही है। बल्कि उनकी जेब पर भी बोझ बढ़ रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इतने वेंटीलेटर का इस्तेमाल हॉस्पिटल में क्यों नहीं किया जा रहा है जो मरीजों की जान बचाने में अहम साबित हो सकते है।
कोरोना में बचाई थी मरीजों की जान
कोरोना की लहर में मरीजों को सबसे ज्यादा वेंटीलेटर की जरूरत थी। उस समय मरीजों को हाई फ्लो आक्सीजन चाहिए था। ऐसे में पीएम केयर फंड से 75 वेंटीलेटर सदर हॉस्पिटल को मिले थे। जिससे हजारों मरीजों की जान बचाई गई। लेकिन आज मरीजों की जान बचाने वाले इन वेंटीलेटरों को लेकर हॉस्पिटल प्रबंधन भी गंभीर नहीं है।
इस मामले में रांची के सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि हमें जिस वेंटीलेटर की जरूरत है उतनी क्षमता पहले वाले वेंटीलेटर में नहीं है। नये वेंटीलेटर के लिए हमने विभाग को प्रस्ताव दिया है। इसके बाद मरीजों को वेंटीलेटर फैसिलिटी मिलने लगेगी।

