प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा रहे हैं, लेकिन हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट ने इस मुद्दे पर हलचल मचा दी थी। रिपोर्ट में संगम के पानी में बैक्टीरिया की मौजूदगी को लेकर सवाल उठाए गए थे, जिसके बाद यह दावा किया गया कि गंगाजल नहाने और आचमन के लिए सुरक्षित नहीं है। हालांकि, अब जेएनयू, एयू और बिहार विश्वविद्यालय के पर्यावरण वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए इसे अधूरा और भ्रामक बताया है।
CPCB की रिपोर्ट पर सवाल: अधूरी जानकारी का हवाला
पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि CPCB की रिपोर्ट में जल की शुद्धता को लेकर कई महत्वपूर्ण तत्वों का उल्लेख नहीं किया गया है। खासकर नाइट्रेट और फॉस्फेट जैसे तत्वों का जिक्र न करना रिपोर्ट की पूरी सच्चाई को सामने लाने में कमी दिखाता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह का कहना है कि इस रिपोर्ट में पानी में घुली ऑक्सीजन का स्तर अच्छा पाया गया है, जो कि एक स्वस्थ जल निकाय का संकेत है। इसके अलावा, पानी का pH स्तर भी 8.4 से 8.6 के बीच पाया गया, जो कि गंगाजल के लिए आदर्श माना जाता है।
संगम का पानी: स्नान योग्य और आचमन योग्य

जेएनयू के पर्यावरण विज्ञान स्कूल के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार मिश्रा ने इस बारे में और विस्तार से बताया कि कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मौजूदगी कोई नई बात नहीं है। महाकुंभ के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं, जिससे इन बैक्टीरिया का स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि गंगा का पानी नहाने लायक नहीं है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि संगम के पानी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर बहुत अच्छा है, जो इसे एक स्वस्थ जल निकाय का प्रतीक बनाता है। उनका कहना था कि महाकुंभ में भारी संख्या में श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं, फिर भी गंगाजल पूरी तरह सुरक्षित है।
किसे विश्वास करें, वैज्ञानिक या रिपोर्ट?

वैज्ञानिकों के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बहुत सी कमियां हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, संगम के पानी में फेकल क्लोरोफॉर्म बैक्टीरिया की बढ़ी हुई मात्रा को लेकर चिंता जताई गई थी। हालांकि, वैज्ञानिक इस बात को खारिज कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि गंगाजल स्नान योग्य है। डॉ. अजय सोनकर ने अपनी शोध में महाकुंभ के दौरान 5 अलग-अलग घाटों से गंगाजल के सैंपल लिए थे और उन्हें जांचने पर यह पाया कि जल में किसी भी प्रकार की हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई है।
जल की गुणवत्ता के मानक: क्या कहते हैं CPCB के मानक?

CPCB ने नदियों में स्नान के लिए जल गुणवत्ता के कुछ मानक निर्धारित किए हैं, जैसे कि फेकल क्लोरोफॉर्म की अधिकतम स्वीकार्य सीमा 2500 यूनिट प्रति 100 मिली, घुली हुई ऑक्सीजन का स्तर कम से कम 5 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए, और पीएच का स्तर 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए। इन मानकों के आधार पर गंगाजल स्नान के लिए पूरी तरह सुरक्षित माना गया है।
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