नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आरक्षण का समर्थन किया है। उन्होंने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि समाज में जिस तरह का भेदभाव मौजूद है, उसे दूर करने के लिए आरक्षण का होना जरूरी है। हमने अपने ही साथी मनुष्यों को सामाजिक व्यवस्था में पीछे रखा और उनकी परवाह नहीं की और यह लगभग 2,000 वर्षों से हो रहा है।
जब तक हम उन्हें समानता प्रदान नहीं करते, कुछ विशेष उपाय तो करने होंगे और इन्हीं उपायों में से एक है आरक्षण। आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक ऐसा भेदभाव हो। मोहन भागवत ने कहा कि अगर संघ की बात करें तो हम संविधान में दिए गए आरक्षण का पूरा समर्थन करता है।
एक वर्ग ने 2000 साल परेशानियां उठाईं:
सरसंघचालक ने कहा कि भेदभाव झेलने वाले समाज के कुछ वर्गों ने यदि 2000 वर्ष तक परेशानियां उठाई हैं तो हम ( जिन्होंने भेदभाव नहीं झेली है) भी क्यो न 200 वर्ष कुछ दिक्कतें उठाएं। उन्होंने कहा कि आरक्षण केवल वित्तीय या राजनीतिक समानता सुनिश्चित करने के लिए नहीं बल्कि सम्मान देने के लिए भी है।
#WATCH | Nagpur, Maharashtra: On reservations, RSS chief Mohan Bhagwat says, "We kept our own fellow human beings behind in the social system…We did not care for them, and this continued for almost 2,000 years…Until we provide them equality, some special remedies have to be… pic.twitter.com/kBxrlAYAgV
— ANI (@ANI) September 6, 2023
भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की सोच से चलता है: भागवत
मोहन भागवत ने सांसारिक सुखों की पूर्ति के प्रति बढ़ती प्रवृत्ति और कुछ लोगों द्वारा अपने स्वार्थी दर्शन के माध्यम से इसे सांस्कृतिक मार्क्सवाद के रूप में उचित ठहराने के प्रयास को भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की सोच पर चलता आया है, जिसका अर्थ है ‘संपूर्ण विश्व एक परिवार’ है। भारतीय पूरे विश्व को ही अपना परिवार का हिस्सा मानकर चलते हैं। ऐसे में सनातन परंपरा हमेश जोड़ने की बात करती रही है। लेकिन कुछ लोग इसमें भेद करना चाह रहे हैं।
READ ALSO : भ्रष्ट देशों की सूची में कौन से देश हैं शामिल? कैसे जारी होती है भ्रष्ट देशों की लिस्ट?
इस लिए महत्वपूर्ण है मोहन भागवत का बयान:
आरक्षण पर मोहन भागवत के बयान को बेहद अहम माना जा रहा है। क्योंकि देश की कई केंद्र सरकार विरोधी पार्टियां संघ को आरक्षण विरोधी बताती रही हैं। यही नहीं उस पर आरक्षण को समाप्त करने लिए भाजपा पर दबाव बनाने का भी आरोप लगाती रहीं है।
लेकिन अब संघ प्रमुख द्वारा आरक्षण का समर्थन करने हुए यह भी बता दिया गया कि यह लंबे समय तक रहने वाला है। ऐसे में अब देखना होगा की उनके इस बायान पर विपक्षी दर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और इसका आने वाले राज्यों के विधानसभा व अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर क्या असर होता है।