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Saranda Elephant Death No Cooking Fire : सारंडा में हाथी की मौत पर गांव में नहीं जला चूल्हा, उपवास पर रहे ग्रामीण

* भी हाथियों की मस्त चाल से गुंजायमान रहने वाला यह जंगल अब असहाय जानवरों की मौत का गवाह बन रहा है...

by Anand Mishra
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Chaibasa (Jharkhand) : सारंडा के शांत जंगलों में मातम पसरा है। अब तक यह खबर किसी से छुपी नहीं है कि यहां गुरुवार की रात एक और मासूम हथिनी ने दम तोड़ दिया, जिससे पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। लगातार हाथियों की मौतों ने ग्रामीणों को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है। यह तीसरी ऐसी घटना है जिसने सारंडा के जंगल के शांत वातावरण को दर्दनाक बना कर रख दिया है। कभी हाथियों की मस्त चाल से गुंजायमान रहने वाला यह जंगल अब असहाय जानवरों की मौत का गवाह बन रहा है।

जवाब दे रहा ग्रामीणों का धैर्य

गुरुवार का दिन सारंडा के लिए बेहद दुखद रहा। सुबह सेरेंगसिया गांव में एक हाथी ने अपनी अंतिम सांस ली, और रात होते-होते मनोहरपुर में एक घायल नन्ही हथिनी भी इलाज के दौरान तड़प-तड़प कर मर गई। यह वही छोटी हथिनी थी जो कुछ समय पहले हुए एक आईईडी ब्लास्ट में बुरी तरह से जख्मी हो गई थी। लगातार तीन हाथियों की मौत से अब ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे रहा है।

वन विभाग व प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल

इस हृदयविदारक घटना के बाद से सेरेंगसिया और मनोहरपुर गांवों में चूल्हे नहीं जले। शोक में डूबे ग्रामीणों ने पूरे दिन उपवास रखा और खाना तक नहीं खाया। हर आंख नम है और हर दिल दुखी। ग्रामीणों की बस यही प्रार्थना है, “हे, भगवान इन बेजुबान और मासूम जानवरों को इंसानी क्रूरता से बचा लें।” वहीं, स्थानीय लोग वन विभाग और प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहे हैं।

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