लखनऊ : उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित प्रसिद्ध बौद्ध धर्म स्थल सारनाथ (Sarnath) को यूनेस्को की विश्व धरोहर की स्थायी सूची में शामिल कराने की तैयारी तेज हो गई है। पर्यटन विभाग ने केंद्र सरकार की पहल पर वर्ष 2025-26 के नामांकन चक्र के तहत सारनाथ का प्रस्ताव यूनेस्को को भेज दिया है। वर्तमान में सारनाथ वर्ष 1998 से यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल है।
कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा
शुक्रवार को पर्यटन भवन में पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में सितंबर में होने वाली यूनेस्को की बैठक के लिए कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की गई। लक्ष्य है कि सारनाथ (Sarnath) को स्थायी सूची में शामिल कराकर इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई जाए।
अब तक उत्तर प्रदेश के तीन धरोहर स्थायी सूची में
पर्यटन मंत्री ने कहा कि विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिलने से सारनाथ को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी, साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था, पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूती मिलेगी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में केवल ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी यूनेस्को की स्थायी सूची में शामिल हैं, और ये तीनों आगरा में स्थित हैं।
प्रमुख बौद्ध धार्मिक स्थलों को बेहतर कनेक्टिविटी से जोड़ा गया
पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने ASI अधिकारियों के साथ मिलकर विस्तृत रणनीति तैयार की है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के प्रमुख बौद्ध धार्मिक स्थलों- सारनाथ (Sarnath), कपिलवस्तु, श्रावस्ती, संकीसा, कुशीनगर और कौशांबी को बेहतर कनेक्टिविटी से जोड़ा गया है। विदेशी पर्यटकों की सुविधा के लिए कुशीनगर और वाराणसी एयरपोर्ट की भी व्यवस्था की गई है।
बैठक में ASI महानिदेशक यदुवीर सिंह रावत और अतिरिक्त महानिदेशक जाह्नवीज शर्मा ने भी अपने विचार साझा किए और भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा की।
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