ब्राइटकॉम ग्रुप केस में मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक और अंतरिम आदेश दिया है। सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने डिजिटल एडवर्टाइजिंग सेक्टर की कंपनी ब्राइटकॉम ग्रुप मामले में शंकर शर्मा सहित 25 लोगों के खिलाफ अंतरिम आदेश दिया है। मार्केट रेगुलेटर ने प्रोमोटर्स पर अगले आदेश तक मार्केट में कामकाज पर रोक लगा दी है। साथ ही, प्रोमोटर्स पर लिस्टेड कंपनी में पद लेने पर भी रोक लगाई गई है।
क्या है मामला?
ब्राइटकॉम ग्रुप ने करोड़ों रुपये की हेराफेरी की है। प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट के मुताबिक कंपनी में रकम नहीं आई। आरोप है कि रकम या तो आई नहीं या फिर दूसरे माध्यम से लौटाई गई। 22 लोगों को 25.76 करोड़ शेयर का अलॉटमेंट किया गया था। अलॉटमेंट रेट के हिसाब से 245.24 करोड़ रुपए आना चाहिए था। कंपनी में महज 52.51 करोड़ रुपये ही आए, 192.73 करोड़ रुपये नहीं आए।
सेबी के मुताबिक या तो आए नहीं या फिर दूसरे रास्ते से वापस गए। मार्केट रेगुलेटर को मामले में निवेशकों से गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट FY20 और FY21 के बीच किए गए थे।
सेबी को नहीं दी गई पूरी जानकारी
सेबी ने बार-बार शंकर शर्मा से आवंटित वारंट/शेयरों के संबंध में बीजीएल को किए गए भुगतान के संबंध में जानकारी और सहायक दस्तावेज प्राप्त करने का प्रयास किया है। हालांकि, शंकर शर्मा ने अभी तक सेबी को पूरी जानकारी और दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं कराए हैं। सेबी ने आदेश में कहा, ब्राइटकॉम ग्रुप लिमिटेड, एम सुरेश कुमार रेड्डी (बीजीएल के प्रमोटर-सह-सीएमडी), और नारायण राजू (सीएफओ) तरजीही आवंटन और साइफनिंग के आवंटियों से प्रतिफल की प्राप्ति को गलत तरीके से यूज करने के लिए बीजीएल के स्वयं के फंड की राउंड-ट्रिपिंग में शामिल थे। सेबी के आदेश में कहा गया है कि एम सुरेश कुमार रेड्डी को अगले आदेश तक किसी भी तरह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री या लेनदेन करने से रोका जाता है।