Nemra (Ramgarh, Jharkhand) : झारखंड के प्रणेता, जन-जन के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शिबू सोरेन, जिन्हें लोग ‘दिशोम गुरु’ कहते हैं, मंगलवार को अपनी संघर्ष-भूमि पर ही पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका अंतिम संस्कार रामगढ़ जिले के उनके पैतृक गाँव नेमरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
पुत्र हेमंत सोरेन ने दी मुखाग्नि, आंखों में आंसू
अंतिम संस्कार के दौरान, मुख्यमंत्री और उनके पुत्र हेमंत सोरेन बेहद भावुक नजर आए। उन्होंने बेहद भारी मन से अपने पिता और राजनीतिक गुरु को मुखाग्नि दी और उन्हें अंतिम जोहार कहा। उनकी आंखें डबडबा गईं, जो उनके भीतर के दर्द को साफ बयां कर रही थीं। हेमंत सोरेन के साथ उनके भाई बसंत सोरेन और परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद थे।
श्मशान घाट पर एक ही बात की चर्चा थी कि जिस सरजमीं से शिबू सोरेन ने अपने संघर्ष और राजनीति की शुरुआत की थी, आज उसी जगह पर वे पंचतत्व में विलीन हो गए। सैकड़ों गांवों से पहुंचे लोगों ने अपने प्रिय ‘बाबा’ और नेता को प्रणाम कर उन्हें अंतिम विदाई दी।

झमाझम बारिश ने भी दी ‘दिशोम गुरु’ को अंतिम विदाई, जमे रहे लोग
एक भावुक पल तब आया, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता का पार्थिव शरीर लेकर नेमरा के घाट पर पहुंचे और उसी समय तेज बारिश शुरू हो गई। इस पर स्थानीय लोगों ने कहा कि यह इस बात का प्रतीक है कि झारखंड की अस्मिता की लड़ाई लड़ने वाले लाल को प्रकृति ने भी अंतिम विदाई दी है। गुरुजी के चाहने वालों ने कहा कि झारखंड के लाल के निधन पर आसमान भी रो रहा है।
दिशोम गुरु शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार गांव के ही बड़की नाला तट पर हुआ। उनके घर से लगभग 600 मीटर की दूरी पर स्थित श्मशान घाट तक जाने के लिए गांव के लोगों ने अपनी फसलों को हटाकर रास्ता बनाया, ताकि ‘बाबा’ को पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जा सके।